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कौन जानता है कल फिर सिंध भारत में वापिस आ जाए : राजनाथ




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24 नवंबर 2025 सोमवार

खबरों में बीकानेर


✒️@Mohan Thanvi

उथो जागो त पहिंजी सिंध खे वरी गंढ़े डेखारियूं...
सिन्धी समाज को नई उड़ान के पंख लगा रहा ये वक्तव्य - कौन जानता है कल फिर सिंध भारत में वापिस आ जाए : राजनाथ




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उथो जागो त पहिंजी सिंध खे वरी गंढ़े डेखारियूं...
सिन्धी समाज को नई उड़ान के पंख लगा रहा ये वक्तव्य - कौन जानता है कल फिर सिंध भारत में वापिस आ जाए : राजनाथ

देश के रक्षा मंत्री ने जब सिंधी समाज के सम्मुख यह कहा कि कौन जानता है कल फिर सिंध भारत में वापिस आ जाए तो समाज के सभी आयु वर्ग के लोगों में एक नया जोश भर गया एक ओर जहां बुजुर्गों की आंखें नम हो उठी वहीं सिंधी युवाओं के बाजू फड़क फड़क उठे। बुजुर्गों की आंखें नम होने के पीछे आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व सिंधी समाज के लोगों पर हुए अत्याचार और जबरन मातृ भूमि से विलग कर दिए जाने की पीड़ा साफ-साफ जाहिर होती है। ऐसे में सामाज के लोग युवाओं से यही कहते प्रतीत हो रहे हैं कि - उथो जागो त पहिंजी सिंध खे वरी गंढ़े डेखारियूं... (उठो जागो तो अपनी सिंध को फिर से अपने भारत से जोड़ कर दिखाएं...)
- मोहन थानवी 

 

कौन जानता है कल फिर सिंध भारत में वापिस आ जाए : राजनाथ

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सिंधी समाज सम्मेलन में कहा कि भले ही आज सिंध भौगोलिक रूप से भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सभ्यतागत रूप से यह हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सीमाएं बदलती रहती हैं और भविष्य में सिंध फिर से भारत में वापस आ सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को दिल्ली में आयोजित 'सिंधी समाज सम्मेलन' को संबोधित करते हुए ऐसा बयान दिया, जिससे पाकिस्तान में हलचल मच सकती है। उन्होंने कहा कि भले ही आज भौगोलिक रूप से सिंध भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा और भविष्य में सिंध फिर से भारत में वापस आ सकता है।

उन्होंने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, 'आज सिंध की भूमि भारत का हिस्सा नहीं हो सकती है, लेकिन सभ्यता की दृष्टि से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा और जहां तक - जमीन की बात है, सीमाएं बदल सकती हैं।

कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए।' उनका ये बयान मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के वक्त आया है। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान पाकिस्तान का सिंध राज्य सिंधी समुदाय के सदस्यों का मूल स्थान है जो भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं। सिंध सिंधु घाटी सभ्यता का उद्गम स्थल भी है।

लाल कृष्ण आडवाणी का किया जिक्र

रक्षा मंत्री ने विभाजन के दशकों बाद भी सिंधी हिंदुओं के इस क्षेत्र के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा, मैं यहां लाल कृष्ण आडवाणी का भी जिक्र करना चाहूंगा। उन्होंने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के हिंदू, अभी भी सिंध को भारत से अलग करने को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। सिर्फ सिंध में ही

नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं। सिंध के कई मुसलमान भी मानते हैं कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम से कम पवित्र नहीं है। ये आडवाणी का कथन है। इसी कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून का भी जोरदार ढंग से बचाव किया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों पर सालों से भयानक अत्याचार हो रहे हैं। उनके घर जलाए गए, बच्चे मारे गए, बेटियों पर जुल्म ढाए गए, जबरन धर्मांतरण किए गए।

'तुष्टिकरण ने किया हिंदुओं को अपमानित'

तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली पुरानी सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'जो असली मदद के हकदार थे, उन्हें कुछ नहीं मिला। वोटबैंक के लिए एक खास समुदाय को खुश करने के चक्कर में इन पीड़ितों को अपमानित किया गया, लेकिन जिसने इनके दर्द को समझा, वो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसलिए हमने सीएए लाया।'



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