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सधे हाथों से कुम्हार बना रहे दीये दीपावली पर झिलमिल के स्रोत हैं दीपक

जेब काबू करें, बाजार बुलाएगा - हम खर्चेंगे, आ रहा खर्चीला "अक्टूबर"