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इयारीज का उद्देश्य बालिका शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में शि़क्षा को बढ़ावा देना
बिन्नाणी कॉलेज में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ
बीकानेर 25 अक्टुबर। इयारीज नाम संगठन एवं बिन्नाणी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज गुरूवार को हुआ।
मुख्य अतिथि वेटेरीनरी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विष्णु शर्मा ने अन्तरविषयक शोधों की महती आवश्यकता पर बल दिया व कहा कि विज्ञान की खोजों का समाज को लाभ मिलना चाहिये। सम्मेलन के प्रस्तावों को सरकार तक पहुंचाना चाहिये तभी वास्तव में इस प्रकार के सम्मेलनों की उपादेयता सिद्ध हो सकेगी।
इयारीज की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नीलम रायसिंघानी ने कहा कि इयारीज द्वारा इस प्रकार के आयोजनों का मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में इस प्रकार के सम्मेलन आयोजित कर शि़क्षा को बढ़ावा देना है। इयारीज द्वारा में रूस, अमेरिका, सिंगापुर, थाईलेण्ड तथा चीन आदि देशों में भी इस प्रकार के सम्मेलन आयोजित किये जायेगें। सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्रों का प्रकाशन इयारीज द्वारा प्रकाशित शोध ग्रन्थों में किया जाता है।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय पटियाला की डॉ. संगीता हाण्डा ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि तकनीक का उपयोग करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन शिक्षा की पुरानी पद्धति को नहीं भूलना चाहिये। उन्होनें कहा कि शिक्षा का वास्तव में अर्थ दूसरा जन्म होता है। वैश्वीकरण के इस युग में शिक्षा का महत्व और भी अधिक हो जाता है। इससे प्रत्येक देश की संस्कृति का ज्ञान होता है। डॉ. हाण्डा ने ऑनलाईन एवं दूरस्थ शिक्षा की महती आवश्यकता पर भी बल दिया।
इयारीज के सचिव हरदेव शर्मा ने बताया कि आरंभ में डॉ. सोनू शिवा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में थाईलेण्ड की प्रो. टैसीनी ने कहा कि थाईलैण्ड में बालिकाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के प्रयास जारी हैं। उन्होनें अपने देश में पीपीपी मोड पर चल रहे बालिका शिक्षा संबंधी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होनें कहा कि शिक्षा केवल क्लास रूम तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिये वरन इसका उपयोग शिक्षा के अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं समाज के हर वर्ग के उत्थान में होना चाहिये।
बिन्नाणी कॉलेज के सचिव गौरीशंकर व्यास ने महाविद्यालय की विकास यात्रा को रेखांकित किया ।
आयोजन सचिव डॉ. गजानन्द ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा का मूल अर्थ जागरूकता होता है। प्राचार्य डॉ. चित्रा पंचारिया ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
. ✍️ मोहन थानवी
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