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खबरों में बीकानेर 🎤 : जोशी राजस्थानी कथा साहित्य के पायोनियर रचनाकार थे - आचार्य

खबरों में बीकानेर 🎤
जोशी की राजस्थानी जीवनीपरक उपन्यास  परंपरा विकसित होनी चाहिए - आचार्य

बीकानेर। कवि-चिंतक डॉ. नन्दकिशोर आचार्य ने कहा कि श्रीलाल नथमलजी जोशी राजस्थानी कथा साहित्य के पायोनियर रचनाकार थे। उन्होंने प्रवाहमयी भाषा द्वारा जटिल से जटिल भावों को सहजता से अभिव्यक्त किया। आचार्य श्रीलाल नथमलजी जोशी की आठवीं पुण्यतिथि पर आयोजित  ‘श्रीलाल नथमलजी जोशी : रचना संचयन’ पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। रचना संचयन का संपादन श्रीमती कांता पारीक और श्रीमती प्रभा पारीक ने किया है।  मुक्ति संस्था के तत्वावधान में महाराजा नरेन्द्रसिंह ओडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. आचार्य ने  श्रीलाल नथमलजी जोशी के अनेक संस्मरणों को बताते कहा कि ‘धोरां रा धोरी’ जैसे जीवनीपरक उपन्यास की परंपरा आगे विकसित होनी चाहिए थी। नए लेखकों को अपने पूर्ववर्ती लेखकों से सृजनात्मक रिश्ता उनकी भाषा में तलाशना चाहिए। इससे पहले आचार्य ने राजस्थानी के मुद्दे पर कहा कि मैं सैद्धांतिक रूप से मानता हूं कि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए, यह भाषिक मानवाधिकार की श्रेणी में आता है कि जिनकी मातृभाषा राजस्थानी है उन्हें आरंभिक शिक्षा राजस्थानी में मिले।
            मुख्य अतिथि कवि-संपादक भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि श्रीलाल नथमलजी जोशी का उपन्यास ‘आभै पटकी’ राजस्थानी का पहला उपन्यास है जिसे शुद्ध सामाजिक उपन्यास कहा जा सकता है।  राजस्थानी गद्य के विकास में जोशी का अविस्मरणीय योगदान रहा है।
     श्रीमती प्रभा ने अपनी बात रखते हुए बाऊजी के लेखन की विचार भूमि पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा उन्हें लिखित दो पत्रों का भी वाचन किया।  लोकार्पित कृति  पर पत्रवाचन  कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने किया ।
            कार्यक्रम के आरंभ में ठा.रामसिंह द्वारा लिखित और श्रीलाल नथमलजी जोशी को अतिप्रिय राजस्थानी वंदना का गायन प्रसन्ना पारीक और शिवानी पारीक ने प्रस्तुत किया। आगंतुकों का स्वागत करते हुए कवि-कहानीकार मालचंद तिवाड़ी ने श्रीलाल नथमल जोशी से जुड़े संस्मरण साझा किए और उन्हें राजस्थानी का अद्वितीय रचनाकार बताया ।  समारोह का संचालन बुलाकी शर्मा ने किया तथा अंत में वाचस्पति जोशी ने आभार ज्ञाप्ति किया।
- ✍️ मोहन थानवी

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