Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

नूवीं पीढ़ी इण ग्यानगंगा में डुबकी लगावण सूं वंचित नीं रै जावै ...kailandar sun barai ... Rajasthani Novel se chuninda ansh....

kailandar sun barai ... Rajasthani Novel se chuninda ansh...

राजस्थानी नावेल कैलंडर सूं बारै से चुनंदा अंश ...

बाबोसा आपरै अ‘र समाज मांय जित्तो बदळाव देख्यो, ओ सगळो बीयांनै बारै सूं आयोड़ा पण अबै पकायत अठै रा ई पिछाण बणायोड़ा इण लोगां रै बदळाव सूं कमती लाग्यो। राजस्थान मांय बदळाव में इयां लोगां रो घणो महतव है। बंटवारै री पीड़ हिरदै में दाब्योड़ा अठै आवंणआळा घणा है। बंटवारै सूं पैळी आयोड़ा लोगां आपरी जगां अ‘र पिछाण सहर में बणा ली ही। अबै सगळा अठै रा ई यानी राजस्थानी ई गिणीजै।
बाबोसा ठीक ही कैवंता हा -

अेक मारग सूं जावै कित्ताई ऊंट, कित्तीई अरथियां
अ’र ठाकुरजी री सोभाजातरा निकळै
टाबर स्कूल भी अठै सूं ही जावै
जुआरी, सट्टेबाज भी ईं मारग रो जातरी
बळद अ’र बस-ट्रक भी ईं मारग सूं बैवै
कोई तीरथ करै कोई पूगै राज में
मारग तो मारग रैवै मिनख री सोच बणै मरज

मेलोडी बीं बगत तो मरज री बात जाण कोनि सकी पण जद खुद राजस्थान रै जीवटआळा मिनखां सूं मिल’र प्रकष्ति सूं संघर्ड्ढ करणो सीख्यो तो जाण सकी कै ओ मरज कांई होवै। इण मरज री जाण बीनैं राजस्थान रै जीवटआळा मिनखां सूं मिल’र होयी। अे जीवटआळा मिनख आपरै जीवन संधर्ड्ढ मायं मेलोडी नै सामिल कर्यो। मेलोडी, जिकी अठै आया सूं पैळी अमेरिका मायं दो-चार साल में पुरुड्ढ बदळ लैवंती ही, फिलिप्स सूं मिल्या बाद भारतीय संस्कष्ति री दीवानी हुयगी। भारत री आध्यात्मिकता री बात्यां उणनै राजस्थान खींच लायी। बाबोसा अ’र किरपाराम सूं जद बा मिली बीं दिनां में उणनै राजस्थान री विकास जातरा रो इत्तो ज्ञान कोनि हो जित्तो बाद मेें होवंतो गयो अ’र बा अचरज में पड़ती गई।
देस-समाज री विकास जात्रा री जाणकारी पौथ्यां में भले ही छप्योड़ी है, छपती रैवे, दुनिया बांचती रैवे पण जियांरै विकास री जात्रा है बै ई मिनख अणजाण रैवै। आ बात गांवां में कित्ताई मिनखां माथै उतरती दिखै। घणा मिनख है जियांनै कार-ट्रक-बस अ‘र रेलगाड़ी जिसी आधुनिक चीजां री जाणकारी है। अजकाळै टीवी अ‘र कम्प्यूटर माथै दुनियाभर री जाणकारी फोटूआं समेत दिखै आ बात भी लोग जाणै पण कोलायत रै एक गांव सूं दो-तीन बरस पैळी टाबरां रो एक दल नई दिल्ली गयो। अचरज री बात आ कोनी कि दल दिल्ली गयो। अचरज री बात तो आ है कि बीं दल में षामिल 15-16 साल रै टाबरां भी पैळी बार रेलगाड़ी देखी। बस देखी अ‘र दिल्ली में ऊंची-ऊंची बिल्डिंगा देख‘र बै टाबर अचरज रै सागर में उतरग्या। इण बात में कमी मिनखा री है कै राज री, आ सोचण री बात है।
मेलोडी आ बात भी जाणगी ही कै राजस्थान रै गांवां मायं घणा लोग आखरग्यानी भलेई कोनी पण बियांरे हिरदै में भगती भाव रो समन्दर बैवै। श्रीमद्भागवत री कथावां रै अलावा भी बै भांत-भांत री कथा सुणै। लोकदेवता बाबा रामदेव, नखत बन्ना अ’र ओसियां माता रै मंदिरां में कोसों दूर सूं लोग दरसन करणनै पूगै। कथा में रस होवै। संगीत हूवै। ताल हूवै। नूवें जमाने रे सागै कदमताल मिला‘र चालणरी एक कसिस हूवै। अचरज ओ भी कै कथा सुणावणआळा खुद निरक्षर होवंता भी जतन करै कै नूवीं पीढ़ी रो एक टाबर भी इण ग्यानगंगा में डुबकी लगावण सूं वंचित नीं रै जावै। बगेचियां अ‘र संता रै स्थान माथै भी बै संता सागै इण भांत री सीख दिराई जावै। संत भी समाज नै रास्तो दिखावण रो काम करै। संता री वाणी में ओज हूवै। बीं ओज सूं प्रवचन सुणनआळा रे हिरदै में कीं करण री इंछा जाग्रत हूवै। बाबो सा मेलोडी नै ओ भी बतायो कै कोई बगत हो जद अेक सहर सूं दूसरे सहर तांईं चिठ्ठी-पत्री पूगते-पूगते चार-छह दिन लाग जावंता। अजकाळै कुरियर सूं दूसरे दिन समाचार मालूम कर सकां। इत्तोई नीं बल्कि टेलीफोन सूं तो साम्हींआळा सूं बातचीत भी हो जावै, ,हाथोंहाथ। जमानो तो और भी आगे बढ्योड़ो है। कम्यूटर सूं ई-मेल होवै। आम्हीं-साम्हीं वीडियो रै मार्फत बातचीत होवै। पांच-दस मिनट मांय दुनिया रै अेक सूं दूसरे देस में बैठ्योड़े मिनख नै कांफें्रसिंग री मार्फत देख्यो-सुण्यो जावै। इंटरनेट सूं तो अजकाळै चारों धाम री जात्रा रो पुण्य मिल सकै। वेबसाइट माथै कित्ताई मिन्दरां रा दरसन होवै।
बाबोसा नै अेक पीड़ भी है। बै आंख्यां मायं आसा री किरणा चमकावंता बतायो - इत्तो सब है पण निरक्षरां री आज भी कमी कोनी। जात्रा रै वास्ते आज भी कित्ताई गांवां में साधन कोनी। पाणी-बिजली व्यवस्था रो अभाव है। कित्ताई गांव है जठै आज भी स्कूल कोनी। स्वास्थ्य केन्द्र कोनी। सड़क कोनी। सुराज सहर रै नजदीक है इण वास्ते बठै सुविधावां पूगी है। बाबोसा ही नीं मेलोडी नै राजस्थान रै बाकी सहरां रै लोगां भी अठै री काफी बात्यां बताई ही। क्यूंकि मेलोडी अबै राजस्थानी संस्कष्ति नै आपरै मायं समेट रैयी ही इण वास्तै उणरो वास्तो लेखकां अ’र कवियां सूं भी रैवंतो। जयपुर मायं अेक कवि सम्मेलन में जद ख्यातनाम कवियां आपरी अेक रै बाद अेक कवितावां री बरसात कर दी ही तो कद आधी रात भोर में बदळण लागी कोई नै ठा कोनि पड़ी ही। मेलोडी ने उण सम्मेलन में सुण्योड़ी आ कविता अजतांईं खूब याद है -

धूळ भरी बुद्धि सूं कियां दीसै सूरज, आंख्यां में माया भरी कोढ़ी होसी तन
काळो कळूटो तन जियां बियां ही बीतै ईसै लोगां रो जीवन
सिंझा रो सूरज दिनूगे रो चांद
कुआं में भांग घोळै भजै भजन
दीसै मिनख रूंख माथै
इनसानियत होयगी दफन
पूरब-पस्चिम सागै रैवै ईसो होवै जीवन

Post a Comment

0 Comments