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गौरैया के घोंसले पे

धूप ने दीवार को सहलाया ... उसे मिली राहत ... गौरैया के घोंसले पे जमी बर्फ भी पिघल गई ... मतवाली हुई हवा ... आशा के गीत गूंज उठे ... दूर हुआ निराशा का साया !..

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