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मंत्रियों के समूह इस्तीफे के पीछे है क्या... कोटे की नीति...
जयपुर/नई दिल्ली। कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान की गहलोत सरकार ने सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया है। आखिर ये सामूहिक इस्तीफे
क्यों लिए गए?
क्या मंत्रियों की परफॉर्मेंस पर वे खरे नहीं उतरे? क्या पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का
भारी दबाव है?
क्या हाईकमान ने कमान अपने हाथ में ले ली है? इन सभी सवालों के बीच इसी तरह की कई वजह सभी मंत्रियों के इस्तीफे की वजह मानी जा रही हैं। लंबे समय से चल रही मंत्रिमंडल विस्तार की
चर्चाओं के बीच अब यह तो तय हो ही गया है कि रविवार को नया मंत्रिमंडल बनने वाला है। अब जिसे भी मंत्री बनाया जाएगा उसका नाम हाईकमान ही तय करने वाला है। असल में यह भी
संदेश दिया जा रहा है कि कोई इस भ्रम में नहीं रहे कि हाईकमान से ऊंचा किसी का कद हो सकता है। ऐसे में किसी भी फैसले का अधिकार क्षेत्र
सिर्फ कांग्रेस हाईकमान के पास ही है। राजस्थान में जब गहलोत सरकार बनी थी, तब पायलट और
गहलोत के कोटे से मंत्रियों को बनाया गया था। पिछले साल सचिन पायलट की बगावत के बाद उनके कैंप से मंत्री बने प्रताप सिंह खाचरियावास, प्रमोद जैन भाया, उदयसिंह आजना गहलोत खेमे में गए थे। इसके बाद पायलट गुट तीनों ही मंत्रियों को हटाने की मांग कर रहा था। ऐसे में सामूहिक इस्तीफा के बाद अब यह विवाद एक बार खत्म हो
गया है। अब दोनों अपने अपने कोटे से मंत्री बना सकेंगे। ऐसे में पायलट अपने कोटे से नए मंत्री बना सकेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि पायलट कोटे वाले यह तीनों मंत्री अब गहलोत खेमे से दुबारा मंत्रिमंडल में आ जाएंगे।
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हाईलाइट्स :
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