- जीवन में कभी हताश ना हों, मैं खुद चौथे प्रयास में आईएएस बनी- डॉ अपर्णा गुप्ता, सचिव, यूआईटी
जीवन में कभी हताश ना हों, मैं खुद चौथे प्रयास में आईएएस बनी- डॉ अपर्णा गुप्ता, सचिव, यूआईटी
*''किसी को मदद की जरूरत है और वह मदद ले नहीं पा रहा तो आप एक कदम उसकी तरफ बढ़ाइए, हो सकता है आप किसी की जान बचा पाएं''*
*स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में मेंटल हेल्थ पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन*
बीकानेर, 16 अक्टूबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में अलख फाउंडेशन के सहयोग से मेंटल हेल्थ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छात्र कल्याण निदेशालय की ओर से विद्या मंडप सभागार में आयोजित हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि यूआईटी सचिव डॉ अपर्णा गुप्ता थी। विशिष्ट अतिथि अलख फाउंडेशन की सचिव श्रीमती रानु पाराशर, डॉ ऋतु जैन और साइकोलॉजिस्ट डॉ खुशबू सुथार थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरूण कुमार ने की।
मुख्य अतिथि डॉ गुप्ता ने कहा कि जीवन में कभी हताश ना हों। मैं खुद चौथे प्रयास में आईएएस बनी। साथ ही कहा कि अगर आपके परिवार या आसपास लगे कि किसी को मदद की जरूरत है और वो आगे नहीं बढ़ पा रहा है तो आप एक कदम उसकी ओर बढ़ाइए। हो सकता है आप किसी की जान बचा पाएं। श्रीमती गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी अपने इनर सर्कल के चार-पांच लोगों का आपस में ध्यान रखें। हॉस्टल में कभी कोई मैस में खाना खाने नहीं आ रहा तो उनके परिजन को बताएं या खुद बात करें।डेंगू, मलेरिया को लेकर जिस तरह हम डॉक्टर्स के पास जाते हैं। एंजाइटी, डिप्रेशन के मामले में भी हम उसी तरह डॉक्टर से संपर्क करें। इसमें शर्म की कोई बात नहीं है। उन्होने कहा कि अलख फाउंडेशन मेंटल हेल्थ को लेकर अच्छा कार्य कर रहा है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति अरूण कुमार ने कहा कि समस्याएं सबके जीवन में आती हैं लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी हैं। अगर कभी हम फेल भी होते हैं तो अगली बार दुगुनी शक्ति और मेहनत से टार्गेट हासिल करें। साथ ही कहा कि हो सकता है कि कई बार माता पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हों। ऐसे में विद्यार्थी एक दूसरे का सहयोग करें। इससे छोटी छोटी समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं। हम सब मिलकर नए राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें। मेंटल हेल्थ कार्यक्रम आयोजन को लेकर कुलपति ने फाउंडेशन का आभार जताया।
कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी ने कहा कि कोटा में हम बच्चों की सुसाइड की घटनाएं सुनते हैं। इसको रोकने को लेकर प्रयास सरकार स्तर पर भी किए गए। कानून बने, कमेटियां भी बनी। ये प्रयास अपनी जगह है। प्रयास ये भी हों कि बच्चों के दिमाग में ऐसी बातें आए ही नहीं कि वो सुसाइड करने तक की सोच ले। मेंटल हेल्थ को लेकर अलख फाउंडेशन की ओर से जो कार्य किया जा रहा है ये महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी अपने जीवन में पोजिटिव सोचें, हर चीज को पोजिटिवली देखें और पॉजिटिव रहकर कार्य करें।
इससे पूर्व साइकोलॉजिस्ट डॉ खुशबू सुथार ने मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन को लेकर बताया कि सबसे पहले तो हम खुद से प्यार करें। हमें क्या पसंद है। उसके लिए दिन में कम से कम 15 मिनिट का समय निकालें। साथ ही कहा दिमाग का अच्छे से यूज करें।सोचें जरूर। ये सोचें कि हमें भविष्य में क्या बनना है। क्या करना है। कैसे करना है। अगर कभी ओवरथिकिंग हो रही हो तो चीजों को कागज पर लिख लें। साथ ही बताया कि जीवन में सफल होने के लिए डिजायर और विचारों को एक ही दिशा में रखें।
अलख फाउंडेशन की सचिव श्रीमती रानु पाराशर ने वीडियो के जरिए बताया कि युवा पीढ़ी में मेंटल हैल्थ जागरूकता की कितनी आवश्यकता है। डॉ रितु जैन ने अलख फाउंडेशन की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरूआत भगवान श्री गणेश की वंदना से हुई। तत्पश्चात अतिथियां का बुके देकर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण छात्र कल्याण निदेशक डॉ निर्मल सिंह दहिया ने देते हुए मेंटल हेल्थ जागरूकता को आज की युवा पीढ़ी के लिए अति आवश्यक बताया। मंच संचालन डॉ सुशील कुमार ने किया। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के सभी डीन, डायरेक्टर्स समेत कृषि महाविद्यालय बीकानेर, आईएबीएम और सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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