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डाॅ. केवलिया का व्यक्तित्व-कृतित्व युवाओं के लिए प्रेरणास्पद, राजस्थानी भाषा के चहुंमुखी विकास में नरोत्तमदास स्वामी का विशेष योगदान, डाॅ. केवलिया को “राजस्थानी भाषा साहित्य रत्न समान 2020”





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डाॅ. केवलिया का व्यक्तित्व-कृतित्व युवाओं के लिए प्रेरणास्पद
राजस्थानी भाषा के चहुंमुखी विकास में नरोत्तमदास स्वामी का विशेष योगदान
डाॅ. केवलिया को “राजस्थानी भाषा साहित्य रत्न समान 2020”

बीकानेर, 5 जनवरी। स्वामी नरोत्तमदास जी की 116वीं जयंती पर रविवार को राजस्थानी-हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मदन केवलिया को “राजस्थानी भाषा साहित्य रत्न समान 2020” प्रदान किया गया। सरस्वती काव्य एवं कला संस्थान, रांकावत शैक्षिक विकास समिति व स्वामी रांकावत युवा मंच के संयुक्त तत्वावधान में यह समारोह महाराजा नरेन्द्र सिंह आॅडिटोरियम में आयोजित हुआ।
       इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में जानकीनारायण श्रीमाली ने कहा कि डाॅ. केवलिया ने उत्कृष्ट साहित्य का सृजन कर समाज को दिशा दिखाने का कार्य किया है। वे उम्र के इस पड़ाव पर भी सत्त साहित्य सृजन कर रहे हैं, इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। डाॅ. केवलिया ने शिक्षक व साहित्यकार के रूप में समाज सेवा की है। उन्होंने कहा कि नरोत्तमदास स्वामी ने जीवन का प्रत्येक ़क्षण राजस्थानी साहित्य की उन्नति के लिए समर्पित किया। उन्होंने राती घाटी युद्ध, सरस्वती नदी, राजस्थानी लोकगीतों पर विशेष कार्य किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि डाॅ. केवलिया ने विभिन्न भाषाओं में विपुल साहित्य रचा है। उनके जीवन संघर्ष से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नरोत्तमदास स्वामी ने राजस्थानी भाषा शब्दकोष, व्याकरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया। डाॅ. गिरिजा शंकर शर्मा ने कहा कि डाॅ. केवलिया का व्यक्तित्व-कृतित्व युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से देश-प्रदेश में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
      इस अवसर पर डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि प्रोफेसर नरोत्तमदास स्वामी राजस्थानी भाषा के सूर्य थे। राजस्थानी भाषा के चहुंमुखी विकास में उनका विशेष योगदान है। डाॅ. केवलिया ने कहा कि स्वामी जी उनके गुरू थे व उनके अध्ययन-अध्यापन का आधार स्वामी जी द्वारा दी गई शिक्षा ही है। उन्होंने नरोत्तमदास स्वामी के नाम से राजस्थानी भाषा पुरस्कार आरंभ करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने अपनी दो पंक्तियों के माध्यम से स्वामी जी को श्रद्धाजंलि व्यक्त करते हुए कहा कि ’’निज वाणी से स्थापित कर दी, राजस्थानी उच्च शिखर पर’’।
   डाॅ. कृष्णलाल विश्नोई ने नरोत्तमदास स्वामी पर राजस्थानी में रचित दोहों का वाचन किया। डाॅ. नितिन गोयल ने कहा कि डाॅ. केवलिया बहुभाषाविद् हैं, उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं पर अपनी कलम चलाई है। नरोत्तमदास स्वामी ने राजस्थानी के उत्थान हेतु अथक परिश्रम किया। अनूप गहलोत तथा स्वामी विमर्शानन्द ने भी विचार रखे। स्वागत भाषण संस्थान अध्यक्ष अरविन्द ऊभा ने दिया, आभार ओम कुमारी ने व्यक्त किया, राजेन्द्र स्वर्णकार ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कृष्णा आचार्य ने किया। डाॅ. रेणुका व्यास ने डाॅ. केवलिया का परिचय दिया तथा अभिनंदन पत्र का वाचन किया। इससे पूर्व अतिथियों ने डाॅ. केवलिया का माल्यार्पण, श्रीफल, अभिनंदन पत्र, शाॅल, नकद राशि, पुस्तकें भेंट कर अभिनंदन किया।
 
 इस दौरान सत्यनारायण स्वामी, राजस्थानी भाषा अकादमी के सचिव शरद केवलिया, रवि पुरोहित, मोहम्मद फारूख, डाॅ गौरीशंकर प्रजापत, चंद्रकुमार स्वामी, नमामीशंकर आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, देवकीनन्दन ऊभा, विक्रम स्वामी, डाॅ. महेन्द्र चाडा, राजकुमार आसवानी, सूरजमाल सिंह, बाबूलाल छंगाणी, कासिम बीकानेरी, राखी स्वामी, गगन कुमार, प्रेम नारायण, चतुर्भुज, शिवशंकर, गोपाल सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित थे।






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