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ऊँट उत्सव : एनआरसीसी में 12 जनवरी कोहोगी उष्ट्र दौड़
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ऊँट उत्सव : एनआरसीसी में 12 जनवरी कोहोगी उष्ट्र दौड़
एनआरसीसी में होगी उष्ट्र दौड़
अंतर्राष्ट्रीय ऊँट उत्सव की गतिविधियों में इस बार ‘ऊँट दौड़‘ प्रतियोगिता का आयोजन-स्थल भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर को चुना गया है। प्रतियोगिता, एनआरसीसी परिक्षेत्र में 12 जनवरी प्रातः11.00 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित होगी। ऊँट उत्सव के उपलक्ष्य पर एनआरसीसी 11-12 जनवरी को अपने यहां निःशुल्क प्रवेश/भ्रमण की सुविधा उपलब्ध करवाएगा।
केन्द्र के निदेशक डाॅ.आर.के.सावल ने कहा कि एनआरसीसी में प्रथम बार अंतर्राष्ट्रीय ऊँट उत्सव तहत रखी गई है। डाॅ.सावल ने बताया कि अनुसंधान के अलावा पारिस्थितिकीय पर्यटन के विकास संबंधी अपने अधिदेष के तहत केन्द्र, ऊँट प्रजाति को बदलते परिवेष में पर्यटनीय दृष्टिकोण से नए-2 आयामों में प्रस्तुत करने हेतु सतत प्रयत्नशील है तथा उष्ट्र दौड़ प्रतियोगिता भी उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि इस ऊँट अनुसंधान केन्द्र की कम व लम्बी दूरी की ऊँट सवारी, उष्ट्र गाड़ी सवारी, उष्ट्र संग्रहालय, कैमल मिल्क पार्लर, कैमल डेयरी आदि पर्यटन-सुविधाओं का लुत्फ उठाने हेतु प्रतिदिन आने वाले सैंकड़ों सैलानी एवं राजस्थानी संस्कृति के प्रतीक ‘ऊँट‘ की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का पुख्ता सबूत है कि उष्ट्र प्रजाति का भविष्य सुनहरा है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊँट उत्सव की गतिविधियों में इस बार ‘ऊँट दौड़‘ प्रतियोगिता का आयोजन-स्थल भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर को चुना गया है। प्रतियोगिता, एनआरसीसी परिक्षेत्र में 12 जनवरी प्रातः11.00 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित होगी। ऊँट उत्सव के उपलक्ष्य पर एनआरसीसी 11-12 जनवरी को अपने यहां निःशुल्क प्रवेश/भ्रमण की सुविधा उपलब्ध करवाएगा।
केन्द्र के निदेशक डाॅ.आर.के.सावल ने कहा कि एनआरसीसी में प्रथम बार अंतर्राष्ट्रीय ऊँट उत्सव तहत रखी गई है। डाॅ.सावल ने बताया कि अनुसंधान के अलावा पारिस्थितिकीय पर्यटन के विकास संबंधी अपने अधिदेष के तहत केन्द्र, ऊँट प्रजाति को बदलते परिवेष में पर्यटनीय दृष्टिकोण से नए-2 आयामों में प्रस्तुत करने हेतु सतत प्रयत्नशील है तथा उष्ट्र दौड़ प्रतियोगिता भी उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि इस ऊँट अनुसंधान केन्द्र की कम व लम्बी दूरी की ऊँट सवारी, उष्ट्र गाड़ी सवारी, उष्ट्र संग्रहालय, कैमल मिल्क पार्लर, कैमल डेयरी आदि पर्यटन-सुविधाओं का लुत्फ उठाने हेतु प्रतिदिन आने वाले सैंकड़ों सैलानी एवं राजस्थानी संस्कृति के प्रतीक ‘ऊँट‘ की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का पुख्ता सबूत है कि उष्ट्र प्रजाति का भविष्य सुनहरा है।
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