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राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए - कलक्टर जे के सोनी
4 पुस्तकों के लोकार्पण पर फिर उठी राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग
सूरतगढ़
एक भाषा के खत्म होने का मतलब है एक पूरी कौम का खत्म होना, इसलिए हमें अपनी मातृभाषा राजस्थानी को कभी भी भूलना नहीं चाहिए। राजस्थानी भाषा बहुत ही समृद्ध भाषा है और ये भाषा मान्यता की पूरी हकदार है। ये उद्गार थे नागौर जिला कलेक्टर जितेन्द्र कुमार सोनी के।
सोनी ने कहा कि राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार में नवाचार करते रहने चाहिए। वर्तमान में युवा पीढ़ी राजस्थानी की मान्यता के लिए संघषर्रत है उसके अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने आगामी 27 नवंबर को नागौर में होने वाले राजस्थानी भाषा के कार्यक्रम में सबको आमंत्रित भी किया।
महेश्वरी धर्मशाला में साहित्यकार मनोज कुमार स्वामी की पुस्तक चूळ, छावणी और भूपेन्द्र नायक द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित द फेल्थी पीपल तथा मोनिका गढ़वाल द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित द कासेनोवा के लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जितेन्द्र कुमार सोनी, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि रूपसिंह राजपुरी, भामाशाह इन्द्र कुमार कोठारी, शिक्षाविद् अनिल चुघ, राजस्थानी व्याख्याता सुरेन्द्र कुमार स्वामी ने माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। इसके बाद पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। सोनू सोनी और खुर्शीद ने केसरिया बालम पर नृत्य कर मेहमानों का स्वागत किया।
व्याख्याता सुरेन्द्र कुमार स्वामी ने मंच संचालन करते हुए स्कूलों और कॉलेजों में राजस्थानी साहित्य विषय शुरू करवाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सूरतगढ़ में 7 विद्यालयों में राजस्थानी भाषा चल रही है परंतु राजकीय महाविद्यालय सूरतगढ़ में राजस्थानी भाषा नहीं होने के कारण हर वर्ष 300 विद्यार्थी राजस्थानी में आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं इसलिए राजकीय महाविद्यालय में राजस्थानी साहित्य जरूर शुरू करवाना चाहिए। राजस्थानी व्याख्याता सुरेंद्र यादव ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी लागू की जाए ताकि इस विषय को रोजगार से जोड़ा जाए। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष परसराम भाटिया ने विनोद चौधरी को मोटियार परिषद का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया। विनोद चौधरी ने कहा कि युवाओं को इस आंदोलन से ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जाए ताकि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचे।
वरिष्ठ कवि रूपसिंह राजपुरी ने राजस्थानी भाषा की विशेषताओं को अपने हास्य अंदाज में पिरोया और कहा कि 10 लाख लोगों की भाषा को मान्यता है परंतु 16 करोड़ राजस्थानीयों की भाषा को मान्यता नहीं होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हरीश हैरी ने राजस्थानी को व्यवहार की भाषा बनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भामाशाह इंद्र कुमार कोठारी ने सब का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे तन मन धन से सदा राजस्थानी भाषा की सेवा करते रहेंगे। इस अवसर पर अनिल धानुका, व्यापार मंडल अध्यक्ष ललित सिडाना, मोहनलाल डेलू, लक्ष्मीनारायण मूंदड़ा, नंदकिशोर सोमानी, एडवोकेट विष्णु शर्मा, इंजीनियर रमेश माथुर, विविधा अध्यक्ष योगेश स्वामी, पी डी शर्मा, किशन स्वामी, भंवर स्वामी सहित अनेक गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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