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गणगौर पूजन 16 दिन चलेगा
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गणगौर पूजन 16 दिन चलेगा
बीकानेर 21 मार्च 2019 । सुख-सौभाग्य, श्रेष्ठ वर की कामना के साथ कुंवारी लड़कियों, नव-विवाहिताओं और महिलाओं ने धुलंडी के दिन गुरुवार को होली की राख से सोलह गणगौर बनाकर पूजा शुरू कर दी। गणगौर की पूजा के लिए महिलाएं बगीचों से मंगलगीत गाते हुए दूब और पानी लेकर आई। इसी के साथ सुहागिनों का 16 दिवसीय त्यौहार गणगौर पर्व शुरू हो गया।विवाहिताएं इसके चलते व्रत भी रखती हैं, विवाहित महिलाओं के लिए व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है। कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीय (. इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं।) तक 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के तहत महिलाएं सुहाग की सलामती के लिए पूजन करेंगी। जबकि मान्यता के अनुसार कुंवारी लड़कियां गण यानी शिव तथा गौर यानी पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करते हुए गणगौर माता का पूजन करेंगी। इन दिनों में कई जगहों पर सामूहिक रूप से गणगौर पूजन के आयोजन होंगे। विदित है कि गणगौर पर परंपरागत गीतों के साथ ईसर और पार्वती का पूजन किया जाता है। परंपरा के अनुसार आठवें दिन कुम्हार के घर की मिट्टी से बड़ी गणगौर माता बनाई जाएगी। विभिन्न कॉलोनियों की महिलाएं प्रमुख मंदिरों में सुबह गणगौर पूजन करने पहुंचेगी। महिलाएं सुबह सामूहिक रूप से गणगौर के गीत गाकर पूजन करती है।
गणगौर पूजन 16 दिन चलेगा
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गणगौर पूजन 16 दिन चलेगा
बीकानेर 21 मार्च 2019 । सुख-सौभाग्य, श्रेष्ठ वर की कामना के साथ कुंवारी लड़कियों, नव-विवाहिताओं और महिलाओं ने धुलंडी के दिन गुरुवार को होली की राख से सोलह गणगौर बनाकर पूजा शुरू कर दी। गणगौर की पूजा के लिए महिलाएं बगीचों से मंगलगीत गाते हुए दूब और पानी लेकर आई। इसी के साथ सुहागिनों का 16 दिवसीय त्यौहार गणगौर पर्व शुरू हो गया।विवाहिताएं इसके चलते व्रत भी रखती हैं, विवाहित महिलाओं के लिए व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है। कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीय (. इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं।) तक 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के तहत महिलाएं सुहाग की सलामती के लिए पूजन करेंगी। जबकि मान्यता के अनुसार कुंवारी लड़कियां गण यानी शिव तथा गौर यानी पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करते हुए गणगौर माता का पूजन करेंगी। इन दिनों में कई जगहों पर सामूहिक रूप से गणगौर पूजन के आयोजन होंगे। विदित है कि गणगौर पर परंपरागत गीतों के साथ ईसर और पार्वती का पूजन किया जाता है। परंपरा के अनुसार आठवें दिन कुम्हार के घर की मिट्टी से बड़ी गणगौर माता बनाई जाएगी। विभिन्न कॉलोनियों की महिलाएं प्रमुख मंदिरों में सुबह गणगौर पूजन करने पहुंचेगी। महिलाएं सुबह सामूहिक रूप से गणगौर के गीत गाकर पूजन करती है।
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