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1947 का विभाजन भारतीय इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय - देवनानी सिंधी समाज ने झेली विभाजन की पीड़ा-देवनानी जर्नी ऑफ सिंधीस लाइव शो का हुआ आयोजन

1947 का विभाजन भारतीय इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय - देवनानी 
सिंधी समाज ने झेली विभाजन की पीड़ा-देवनानी
जर्नी ऑफ सिंधीस लाइव शो का हुआ आयोजन

...अब वतन आजाद है


bahubhashi.blogspot.com
14 अगस्त 2025 गुरुवार

खबरों में बीकानेर


✒️@Mohan Thanvi

1947 का विभाजन भारतीय इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय - देवनानी 
सिंधी समाज ने झेली विभाजन की पीड़ा-देवनानी
जर्नी ऑफ सिंधीस लाइव शो का हुआ आयोजन
Internet media (सिंधु गौरव समाचार)

जयपुर 13 अगस्त 2025 बुधवार 

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि 1947 का विभाजन भारतीय इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय है, जिसने करोड़ों लोगों के जीवन को विस्थापन, रक्तपात और बिछोह की पीड़ा से भर दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल भूगोल का बंटवारा नहीं था, बल्कि दिलों और रिश्तों का भी बंटवारा था।

 देवनानी ने कहा कि विभाजन की त्रासदी हमें यह सीख देती है कि नफरत और कट्टरता की आग किसी भी समाज को सुख और शांति नहीं दे सकती। हमारी असली ताकत हमारी एकता, भाईचारा और सांस्कृतिक बंधन में है। उन्होंने बताया कि राजस्थान ने उस समय लाखों शरणार्थियों को अपनेपन के साथ अपनाया, जो हमारी संस्कृति के वसुधैव कुटुंबकम् के भाव को दर्शाता है।

उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि हम संकल्प लें कि देश में कभी भी विभाजनकारी सोच को पनपने नहीं देंगे और आने वाली पीढियों को प्रेम, करुणा और आपसी सम्मान के मूल्यों के साथ एकजुट भारत सौंपेंगे।

अजमेर (सिंधु गौरव समाचार)

राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद एवं सिंधी शिक्षा विकास समिति अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में विभाजन विभीषिका की पूर्व संध्या पर एक विशेष सांस्कृतिक एवं नाट्य कार्यक्रम जर्नी ऑफ़ सिंधीस का आयोजन बुधवार को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में किया गया।

सिंधी शिक्षा विकास समिति के महासचिव  घनश्याम भगत ने बताया कि राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से विभाजन विभीषिका की पूर्व संध्या पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, विशिष्ट अतिथि इंटरनेशनल प्रेसिडेंट विश्व सिंधी सेवा संगठन के राजू विजय मनवाणी रहे। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद के सदस्य मनीष देवनानी, सम्राट पृथ्वीराज चौहान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य हासो दादलानी ने अपने विचार व्यक्त किए।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सिंधी समाज के लिए संघर्ष एक परम्परा रही है। इसी संघर्ष से सफलता को प्राप्त करना प्रत्येक सिंधी व्यक्ति के जीवन का भाग है। इस दौरान सामने आने वाली चुनौतियों से मुकाबला कर स्वयं को स्थापित करने की कला इस समाज में है। विभाजन की सबसे ज्यादा पीड़ा इसी समाज ने झेली है। इसको याद करके आज भी उस समय के लोगों की आंखे नम हो जाती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे अनुभव किया। इसी के परिणामस्वरूप विभाजन विभीषिका दिवस मनाया जा रहा है। ताकि नई पीढ़ी को विभाजन के दर्द की अनुभूति हो व उनमें राष्ट्रीय भक्ति की भावना ओतप्रोत हो।

 देवनानी ने कहा कि सिंधी समाज सदैव ही कर्मशील और मेहनती रहा है। यह मेहनत राष्ट्रहित में समर्पित रही है। देश के प्रति प्रेम के भाव ने ही हेमु कालाणी को अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए प्रेरित किया। आज भी सिंधी समाज राष्ट्र के लिए सर्वाधिक समर्पण करने के लिए तत्पर है।

उन्होंने कहा कि समय के साथ अजमेर में भी आमूल चूल परिवर्तन हुए हैं। गुलामी के प्रतीकों के नाम बदलकर उनका भारतीयकरण किया गया है। फॉयसागर का नाम वरुण सागर कर दिया गया है। किंग एडवर्ड मेमोरियल को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्रांति गृह के नाम से जाना जा रहा है। होटल खादिम अब होटल अजयमेरू है।

सांस्कृतिक संध्या में देवांश एंटरटेनमेंट के सुप्रसिद्ध कलाकार मोहित शेवानी और टीम द्वारा विभाजन विभीषिका पर आधारित नाट्य मंचन किया गया। इसके अंतर्गत इस प्रस्तुति में 1947 के विभाजन के दौरान सिंधी समाज को झेलनी पड़ी कठिनाइयों, विस्थापन के दर्द, संघर्ष की दास्तान तथा स्वतंत्र भारत के राष्ट्र निर्माण और विकास में सिंधी समाज के अमूल्य योगदान को भावपूर्ण ढंग से दर्शाया गया। कार्यक्रम में स्वामी सर्वानंद विद्यालय, हरि सुंदर बालिका विद्यालय के बच्चों ने देश भक्ति नृत्य पेश किया। लोकगायक घनश्याम भगत ने लोकगीतों की प्रस्तुति दी।



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