*खबरों में बीकानेर*
चुनाव : पर्दे के पीछे - बागी-स्वर प्रभावित करेंगे भाजपा-कांग्रेस की जय-पराजय !
- मोहन थानवी
बीकानेर
अब कतार बागी-स्वर गुंजाने वालों की लगने लगी है। प्रदेश के लगभग चौथे-छठे विधानसभा क्षेत्र का ऐसा हाल दिखाई दे रहा है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों की सूची जब तक सामने नहीं आई थी तब तक सूची की प्रतीक्षा सभी को थी। अब विधानसभा सीटों के लिए दोनों दलों के आधे से अधिक प्रत्याशियों की सूची सामने आ चुकी है। ऐसे में जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिले हैं उनके समर्थक बागी-स्वर उठा रहे हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों से कुछ ऐसी ही
जानकारी सोशल मीडिया और मीडिया के विभिन्न माध्यमों से जन-जन तक पहुंच रही है।
बात बीकानेर की करें तो यहां भी अपवाद दिखाई नहीं दे रहा। मतलब बीकानेर में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के कुछ प्रभावशाली दावेदार और उनके समर्थक अपनी-अपनी मांगे पुरजोर तरीके से अपने दलों के आला कमान तक पहुंचाने में जुटे हैं।
बीकानेर पश्चिम की सीट के लिए तो एक दावेदार ने अपने वर्तमान पदों से इस्तीफा तक दे दिया है। जबकि पूर्व विधानसभा क्षेत्र से एक दावेदार ( आमजन की नजर में दमदार दावेदार) माने जाने वाले भामाशाह के समर्थकों ने आला कमान तक अपनी मांग डंके की चोट पर पहुंचा दी है। यह भामाशाह 2 दिन में ही अपने समर्थकों के भारी बल के साथ पैदल मार्च भी निकालने जा रहे हैं।
इसी तरह पूर्व क्षेत्र में ही एक और प्रभारी एडवोकेट दावेदार के समर्थक। प्रवक्ता रहे एडवोकेट ने एक खुला पत्र अपने दावेदार एडवोकेट मित्र को जाहिर किया है। जिसमें उन एडवोकेट और वर्तमान में एक महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ का प्रभार संभालने वाले मित्र को उन्होंने बीते दो दशक के संघर्ष को याद दिलाते हुए कुछ बोलने के लिए आग्रह किया है। जो इस ओर इंगित कर रहा है कि बागी-स्वर उधर भी हैं।
ऐसे में इन दो सीटों के लिए तो कहा ही जा सकता है कि यहां दोनों प्रमुख दलों के घोषित प्रत्याशियों के सम्मुख जीत हार को प्रभावित करने वाले बागी स्वर गूंजने लगे हैं।
इन स्वरों को गुंजाने वालों के समर्थकों की भारी तादाद को देखते हुए जानकार लोग यह कहते हिचक नहीं रहे की इन सीटों पर दोनों दलों के प्रत्याशियों के सम्मुख जीत हार प्रभावित होने का संकट फिलवक्त तो दिखाई दे ही रहा है।
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