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देशनोक की धरा पर पहुंचे आचार्य विजयराज नवकार भवन में दिया सुख-शांति का संदेश

🔆देशनोक की धरा पर पहुंचे आचार्य विजयराज
नवकार भवन में दिया सुख-शांति का संदेश✳️कहा आत्महत्या मुक्त हो देश-विदेश✴️
















*खबरों में बीकानेर*

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देशनोक की धरा पर पहुंचे आचार्य विजयराज
नवकार भवन में दिया सुख-शांति का संदेश, कहा आत्महत्या मुक्त हो देश-विदेश
सुख-शांति साधन में नहीं साधना में है- आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.


बीकानेर। शांति का आधार साधना है, साधन नहीं। लेकिन लोगों ने साधन को आधार मान लिया है। वह यह नहीं जानते कि साधन सुख नहीं देते, शांति नहीं देते, सुख और शांति तो साधना में ही है। महापुरुषों की यह वाणी अद्भुत गम्य है। इसे जो अनुभव करते हैं, वही लाभान्वित हो सकते हैं। यह सद्ज्ञान श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने श्रावक-श्राविकाओं को दिया। वे रविवार सुबह पलाना के दीप गार्डन से विहार कर देशनोक के नवकार भवन पधारे, जहां उन्होंने सुबह का प्रवचन  देते हुए श्रावकों को सुख-शांति के लिए धर्म की अराधना, प्रभु की भक्ति और जिन शासन की साधना करने का संदेश दिया।

 साथ ही महाराज साहब ने आत्महत्या नहीं करने का संदेश दिया। महाराज साहब ने फरमाया कि संसार के सभी प्राणी सुख चाहते हैं, शांति चाहते हैं। लेकिन, ज्ञानीजन कहते हैं कि शांति साधनों से नहीं साधना से मिलती है। आचार्य श्री ने कहा कि मां करणी और मां नानुकंवर की इस पुण्य धरा पर  हम आज शांति की चर्चा कर रहे हैं। महाराज साहब ने कहा कि एक बात निश्चित है, दुखी सुखी हो सकता है, लेकिन दुख देने वाला सुखी नहीं हो सकता। किसी को दुख देकर हम सुख की कामना करें, यह संभव नहीं है। जो दूसरों को दुख दे सकता है, क्या वह कभी सुखी हो सकता है! दुख देना हमारे जीवन की बहुत बड़ी विडंबना है। जब हमें दूसरों से सुख चाहिए तो हमें दूसरों को सुख प्रदान करना होता है। और सुखी होने का पहला चरण साधना है। 

महाराज साहब ने कहा कि यह जीवन में धारण कर लो कि मैं किसी को जीवन में दुख नहीं दूंगा बल्कि दुखी के दुखों का निवारण करुंगा, यह संकल्प हमें  सुखी करेगा। लेकिन, हम यह करते नहीं हैं। इसकी शुरूआत हमें अपने घर से करनी चाहिए।


देशनोक वासियों ने बिछाए पलक पांवड़े
आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब के पलाना के दीप गार्डन से विहार कर देशनोक स्थित नवकार भवन पहुंचने पर गणमान्यजनों ने उनके आगमन पर पलक पांवड़े बिछाते हुए विजय गुरु की जय-जयकार के उद्घोष से   माहौल धर्ममय कर दिया। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाऐं विहार करते हुए महाराज साहब के दर्शनार्थ और जिनवाणी का श्रवण करने नवकार भवन पधारे।  संघ के विकास छल्लाणी ने बताया कि महाराज साहब के आगमन पर नगर पालिका देशनोक के चैयरमेन  ओमप्रकाश मूंधड़ा, चंदा देवी डालचंद सांड चेरिटेबल ट्रस्ट के फाउंडर मुंबई प्रवासी, देशनोक निवासी  नवरतन सांड के परिवारजन, बोथरा परिवार, कातैला परिवार, छल्लाणी परिवार, नीलम सांड  ने  महाराज साहब की अगवानी की और आशीर्वाद लेकर मंगलिक सुनी। 

इस दौरान महाराज साहब के साथ श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ बीकानेर  के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा, गंगाशहर-भीनासर श्री संघ के अध्यक्ष मेघराज सेठिया, केन्द्रीय मंत्री रिद्धकरण सेठिया, युवा संघ के महावीर गिडिय़ा,अरिहन्त बांठिया, विकास सुखानी, सम्पतलाल तातेड़ आदि गणमान्य जन साथ थे। प्रवचन पश्चात दोपहर की महामंगलिक एवं धर्मचर्चा तथा गौतम प्रसादी का आयोजन भी हुआ। 

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