पेयजल में ज्यादा फ्लोराइड से फ्लौरोसिस की आशंका निराधार नहीं
आधा पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी भी दे सकता है फ्लौरोसिस की बीमारी
फ्लौरोसिस रोग सम्बन्धी खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित
खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ 👇👇👇 .. 👇👇👇 👇👇👇
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. ✍️ *फोटो लॉन* 📷🎬📸☑️*********🙏👍🙏 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ ... 👇👇👇👇👇👇👇
दिनांक: 8 जनवरी 2019
आधा पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी भी दे सकता है फ्लौरोसिस की बीमारी
फ्लौरोसिस रोग सम्बन्धी खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित
बीकानेर। पेय जल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा हो तो ये आपकी हड्डियों व दांतों के लिए घातक हो सकती है। लगातार ऐसे पानी का सेवन करने से फ्लौरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। फ्लोरोसिस बीमारी को लेकर मंगलवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में बीकानेर खण्ड का खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. मीणा ने बताया कि गरीब व दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे भारतीयों के भोजन में कैल्सियम, विटामिन व आयरन के अभाव के चलते 0.5 पीपीएम से अधिक मात्रा वाले पानी का लगातार सेवन भी फ्लौरोसिस दे सकता है। प्रशिक्षण में यह तथ्य भी उभरकर आया कि फ्लौरोसिस की रोकथाम के लिए मात्र स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बजाय जलदाय विभाग, नगर-ग्रामीण निकाय, केमिस्ट व डेंटिस्ट का भी समन्वय आवश्यक है। जिला फ्लौरोसिस सलाहकार महेंद्र जायसवाल व डीएनओ मनीष गोस्वामी ने फ्लोरोसिस से बचाव, पहचान व उपचार सम्बन्धी मापदंडों की जानकारी दी। प्रशिक्षण में बीसीएमओ बीकानेर डॉ. सुरेन्द्र चैधरी, बीपीएम ऋषि कल्ला, बीएचएस डॉ. सुरेश स्वामी सहित चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ ने भाग लिया।
क्या है फ्लौरोसिस ?
महेंद्र जायसवाल ने जानकारी दी कि लगातार अधिक फ्लोराइड युक्त पानी, तम्बाकू, सुपारी, काली चाय, काला नमक इत्यादि का सेवन व फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का उपयोग करने पर हड्डियों में टेढ़ापन, कुबड़ापन, दांतों में पीलापन को फ्लौरोसिस कहते है। फ्लौरोसिस से बचने के लिए वर्षा जल एकत्र कर पिएँ, ईमली, आंवला, नीम्बू, हरी सब्जियां, दूध-दही, विटामिन सी, डी, कैल्सियम व आयरन युक्त खाद्यों का सेवन करना चाहिए।
आधा पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी भी दे सकता है फ्लौरोसिस की बीमारी
फ्लौरोसिस रोग सम्बन्धी खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित
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दिनांक: 8 जनवरी 2019
आधा पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी भी दे सकता है फ्लौरोसिस की बीमारी
फ्लौरोसिस रोग सम्बन्धी खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित
बीकानेर। पेय जल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा हो तो ये आपकी हड्डियों व दांतों के लिए घातक हो सकती है। लगातार ऐसे पानी का सेवन करने से फ्लौरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। फ्लोरोसिस बीमारी को लेकर मंगलवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में बीकानेर खण्ड का खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. मीणा ने बताया कि गरीब व दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे भारतीयों के भोजन में कैल्सियम, विटामिन व आयरन के अभाव के चलते 0.5 पीपीएम से अधिक मात्रा वाले पानी का लगातार सेवन भी फ्लौरोसिस दे सकता है। प्रशिक्षण में यह तथ्य भी उभरकर आया कि फ्लौरोसिस की रोकथाम के लिए मात्र स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बजाय जलदाय विभाग, नगर-ग्रामीण निकाय, केमिस्ट व डेंटिस्ट का भी समन्वय आवश्यक है। जिला फ्लौरोसिस सलाहकार महेंद्र जायसवाल व डीएनओ मनीष गोस्वामी ने फ्लोरोसिस से बचाव, पहचान व उपचार सम्बन्धी मापदंडों की जानकारी दी। प्रशिक्षण में बीसीएमओ बीकानेर डॉ. सुरेन्द्र चैधरी, बीपीएम ऋषि कल्ला, बीएचएस डॉ. सुरेश स्वामी सहित चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ ने भाग लिया।
क्या है फ्लौरोसिस ?
महेंद्र जायसवाल ने जानकारी दी कि लगातार अधिक फ्लोराइड युक्त पानी, तम्बाकू, सुपारी, काली चाय, काला नमक इत्यादि का सेवन व फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का उपयोग करने पर हड्डियों में टेढ़ापन, कुबड़ापन, दांतों में पीलापन को फ्लौरोसिस कहते है। फ्लौरोसिस से बचने के लिए वर्षा जल एकत्र कर पिएँ, ईमली, आंवला, नीम्बू, हरी सब्जियां, दूध-दही, विटामिन सी, डी, कैल्सियम व आयरन युक्त खाद्यों का सेवन करना चाहिए।
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