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चुनाव : पर्दे के पीछे - एक्जिट पोल ने ही बदल दी नीयत, चेहरे दिखा वोट मांगने वाले दिखाने लगे तेवर...!
- मोहन थानवी
अब किसी का कहा हुआ याद आ रहा है कि राजनीति में नीति अनुसार चलने पर ही जनता साथ देती है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में जो राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि नीति अनुसार राजनीति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं उन्हें एग्जिट पोल या मतगणना से पूर्व के सर्वे से कोई फर्क नहीं पड़ता दिखाई दे रहा। उनके अपने-अपने जीत के दावे बरकरार हैं। बल्कि पहले से भी ज्यादा जोर शोर से दावे किए जा रहे हैं। लेकिन मतदाताओं के सम्मुख कुछ ऐसे चेहरे भी सामने आने लगे हैं जिनकी नीति ऊंट इस करवट बैठे या उस करवट, सवारी तो हम नहीं करनी है - सामने आ रही है।
सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर कुछ ऐसे जनप्रतिनिधियों के वक्तव्य लोगों ने सुने जो रंग बदलने में पारंगत दिखे। ऐसे ही एक निर्दलीय हो चुके नेताजी ने एक पार्टी नेताओं के चेहरे सामने रखते हुए मतदाताओं से वोट मांगे थे। अब अपनी जीत की संभावनाओं को देखते हुए वह यह कहने से हिचक ही नहीं रहे कि वह दूसरी पार्टी के सत्तासीन होने की स्थिति में उसे समर्थन पर विचार कर सकते हैं। लोग दबी आवाज में यह कहने से पीछे नहीं हट रहे की एग्जिट पोल के आते ही नेताजी ने नीयत बदल ली।
लोग एक ऐसे नेताजी के वक्तव्य पर भी चटकारे ले रहे हैं जिनकी अपनी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले कद में कुछ छोटी है। लेकिन लोकतंत्र में बहुमत के लिए एक-एक मत की अहमियत होती है। इसी के मध्य नजर उन नेताजी का यह वक्तव्य सामने आया है कि यदि उनकी पार्टी 20 सीटें जीतती है और दोनों प्रमुख पार्टियों में से एक को समर्थन की जरूरत पड़ती है तो वह समर्थन नहीं देंगे बल्कि वह खुद सत्ता संभालेंगे और इन दोनों बड़ी पार्टियों में से एक को हमें समर्थन देना पड़ेगा ।
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