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त्रिभाषा काव्य के रंग खिले, कासिम सह संस्थापक, निर्मल जिला सचिव बने poetry



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🖍️त्रिभाषा काव्य के रंग खिले, कासिम सह संस्थापक, निर्मल जिला सचिव बने

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-राष्ट्रीय कवि चौपाल की 400वीं कड़ी में त्रिभाषा काव्य के रंग बिखरे, कासिम सह संस्थापक, निर्मल जिला सचिव बने

शायर क़ासिम बीकानेरी राष्ट्रीय कवि चौपाल के सह-संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा निर्मल कुमार शर्मा जिला सचिव बनाए गए।

 
बीकानेर 5 फरवरी 2023
सार्दुल स्कूल मैदान स्थित भ्रमण पथ पर हर रविवार को सुबह सजने वाली राष्ट्रीय कवि चौपाल की 400वीं कड़ी भव्यता के साथ आयोजित की गई।




    राष्ट्रीय कवि चौपाल के संरक्षक-संस्थापक, कवि एवं समाजसेवी नेमचंद गहलोत ने बताया कि इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि चौपाल में सर्वसम्मति से नए पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। वरिष्ठ गीतकार निर्मल कुमार शर्मा को राष्ट्रीय कवि चौपाल का जिला सचिव बनाया गया है। 



शायर क़ासिम बीकानेरी संस्था के सह संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर सर्वसम्मति से चुने गए। रामेश्वर बाड़मेरा 'साधक' को कवि चौपाल का बीकानेर जिला अध्यक्ष चुना गया। वे पहले से ही राष्ट्रीय कवि चौपाल बीकानेर शाखा के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभा रहे हैं। 




कवि हनुमंत गौड़ 'नज़ीर' को राष्ट्रीय कवि चौपाल का सदस्य चुना गया। गहलोत ने बताया कि राष्ट्रीय कवि चौपाल में आने वाले कवियों को संस्था द्वारा काव्य पाठ का अवसर देने के साथ-साथ उनका भरपूर मान सम्मान भी किया जाता है। संस्था भविष्य में भी साहित्य के क्षेत्र में लगातार काम करना जारी रखेगी।




      राष्ट्रीय कवि चौपाल की 400वीं महत्वपूर्ण कड़ी के अवसर पर भव्य त्रिभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें लगभग दो दर्जन हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के कवियों, शायरों और कवयित्रियों ने काव्य के विविध रंग बिखेरे। कवयित्री कृष्णा वर्मा ने अपनी कविता से कार्यक्रम का बेहतरीन आग़ाज़ किया। कवयित्री मधुरिमा सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।




कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि निर्मल कुमार शर्मा ने अपनी राजस्थानी कविता 'रूड़ौ राजस्थान है रूड़ी राजस्थानी' कविता के ज़रिए राजस्थान और राजस्थानी भाषा की ख़ूबियां बयान की ‌। कवि नेमचंद गहलोत ने अपनी राजस्थानी कविता 'थानै कईं बताऊं थानै सब ठा है' के जरिए राजस्थानी अपनी राजस्थानी कविता के प्रस्तुतीकरण से ख़ूब वाहवाही लूटी।
    



मुख्य अतिथि के तौर पर शायर क़ासिम बीकानेरी ने सच रदीफ़ वाली ग़ज़ल से जहां सच्चाई की तारीफ़ बयान की तो नौजवान शायर सागर सिद्दीक़ी ने झूठ रदीफ़ वाली बेहतरीन ग़ज़ल के ज़रिए झूठ को बेनक़ाब किया।





कवि गोष्ठी का संचालन करते हुए कवि हनुमंत गौड़ नज़ीर ने बड़ी पुरानी सी लड़ाई है ज़िंदगी तुझसे/ फिर भी वो आशनाई है ज़िंदगी तुझसे' मतलअ़ सुना कर श्रोताओं से भरपूर तारीफ़ें पाई। वरिष्ठ कवियत्री सरोज भाटी ने 'तन तो है माटी रो दिवलो' कविता से जीवन की क्षणभंगुरता को सामने रखते हुए कवि गोष्ठी में आध्यात्मिकता का रंग भरा ।



 कार्यक्रम में एडवोकेट विनोद शर्मा,शमीम अहमद शमीम,बाबू बमचकरी, हरि कृष्ण व्यास, हनुमान प्रसाद कच्छावा,लक्ष्मी नारायण आचार्य 'बंधु', हरि कृष्ण व्यास, कालूराम गहलोत सहित अनेक रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। 



काव्य गोष्ठी में एम रफ़ीक़ क़ादरी, श्री गोपाल स्वर्णकार, परमेश्वर सोनी, दीनानाथ, महावीर रांकावत सहित अनेक श्रोता मौजूद थे। पार्क में भ्रमण करने आने वाले राहगीरों ने भी रुक कर काव्य पाठ का आनंद उठाया।



कार्यक्रम का सफल संचालन हनुमंत गौड़ 'नज़ीर' ने किया जबकि आभार घनश्याम सिंह ने ज्ञापित किया।

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