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*पेजयल गुणवता जांच सुविधा से महरूम है जलदाय मंत्री का गृहजिला*
-मुकेश पूनिया-
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🔊 *पेजयल गुणवता जांच सुविधा से महरूम है जलदाय मंत्री का गृहजिला* -मुकेश पूनिया- बीकनेर। जलदाय मंत्री डॉ.बीडी कल्ला का गृहजिला होने के बावजूद बीकानेर का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जिले के पेयजल उपभोक्ता सरकारी स्तर पर शुरू की गई पानी की गुणवता जांच सुविधा से महरूम है। जबकि प्रदेश के 20 जिलों में सरकारी जलापूर्ति से मिल रहे पानी की गुणवत्ता जांच सुविध डोर स्टेप मिल रही है। जबकि बीकानेर समेत प्रदेश के 13 जिलों में पानी गुणवत्ता जांच का काम फिलहाल अधरझूल में अटका हुआ है। इन जिलों में पानी की गुणवत्ता जांचने वाली चयनित फर्म ने काम ही शुरू नहीं किया है। पता चला है कि बीते छह महीने से डोर स्टेप पानी की जांच शुरू करने का मामला कोर्ट में लंबित है। ऐसे में वंचित रहे १३ जिलों जिनमें बीकानेर समेत संभाग के चुरू,हनुमानगढ,श्रीगंगानगर समेत जयपुर शहर, जयपुर देहात, भरतपुर, करौली, धौलपुर, सवाईमाधोपुर,अलवर, झुंझुनूं, दौसा, सीकर पेयजल उपभोक्ताओं को जांच सुविधा कब से मिलेगी इस बारे में संशय है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के उपभोक्ताओं को गुणवता युक्त पेयजल मिले इसके लिये जलदाय मंत्री डॉ.बीडी कल्ला के निर्देश पर प्रदेश के सभी 33 जिलों में मोबाइल वाटर टेस्टिंग लेबोरेट्री वैन के माध्यम से सरकारी जलापूर्ति के पानी की गुणवत्ता जांच की कार्य योजना शुरू की गई थी। जलदाय विभाग ने पहले चरण में 20 जिलों में मोबाइल टेस्टिंग लैब वैन तैनात करने की टेंडर प्रक्रिया शुरू की। दो साल पहले निजी फर्म ने काम भी शुरू कर दिया। उसके बाद बीकानेर समेत शेष 13 जिलों के लिए मोबाइल वैन तैनात करने के लिए टेंडर प्रक्रिया का दूसरा चरण शुरू हुआ। चयनित निजी फर्म ने पहले तो पानी सैंपल जांच की दरों को लेकर सहमति जताई लेकिन कार्यादेश जारी होने के बाद फर्म 20 जिलों में हो रही पानी जांच दरों के बराबर भुगतान लेने की शर्त पर अड़ गई। फर्म ने इस मामले में विभाग की स्टेट रेफरल सेंटर लेबोरेट्री अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। कार्य में देरी के चलते लैब के चीफ केमिस्ट ने फर्म को नोटिस जारी कर पैनल्टी लगाई। जिस पर फर्म कोर्ट चली गई। मामले में कोर्ट ने स्टेट रेफरल सेंटर लैब प्रशासन ने कोर्ट में जवाब भी पेश किया है। हालांकि छह महीने बीत जाने के बाद भी फिलहाल विवाद को लेकर कोई समाधान नहीं निकला है । इस मामले में लैब अधिकारियों की मानें तो बीस जिलों में प्रति पानी सैंपल जांच के लिए फर्म को विभाग 748 रुपए भुगतान कर रहा है। जबकि शेष 13 जिलों में पानी सैंपल जांच की दर इससे कम होने की बात को लेकर फर्म व विभाग के बीच विवाद हुआ है,और यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
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