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खबरों में बीकानेर 🎤 🌐
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गुरु कृपा से होता है प्रभु का साक्षात्कार- साध्वी सुमेधा भारती
राजस्थान पब्लिक स्कूल के सामने, सेक्टर-7 तिकोना पार्क, मुक्ता प्रसाद, बीकानेर में दिव्य ज्योति परिवार के तत्वाधान में प्रारम्भ हुई सात दिवसीय कथामृत के चतुर्थ दिवस में सर्व श्री आश्ुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सुमेधा भारती जी ने प्रवचन के माध्यम से बताया कि ईश्वर की कृपा से प्राप्त मनुष्य जन्म का लाभ तब तक नहीं जब तक हम इसे ज्ञान और भक्ति से अपने जीवन को ऐसा बना ले कि जीवन के अन्त समय में भी प्र्रभु का ही स्मरण बना रहे, प्रभु की ही याद रहे। क्यांकि हम अन्त समय में जिस वस्तु का भी ध्यान करेंगे हम अगले जन्म में उसे योति को ही प्राप्त होंगे।
ज्ञान और भक्ति ही मानव को शक्ति सद् दिशा दिखाती है। आज के घोर कलीकाल में मानव को ज्ञान की महती आवश्यकता है। विशेषकर आज के युवाओं को। आज का युवा जो अध्यात्म से कोसो दूर जा चुका है। वे अध्यात्म में रूचि नहीं दिखाते लेकिन अध्यात्म ही है। जो उनके जीवन को पूर्णतः परिवर्तित कर सकता है। लेकिन इस परिवर्तन के बिना युवाओं कि दिशा आज गलत हो चुकी है। कोई नशे के चंगुल में फंस चुका है तो कोई सोशल मीडिया का शिकार हो चुका है। अध्यात्म दिशा भ्रमित युवाओं को सही दिशा दिखाकर उन्हें पतन से उत्थान के मार्ग पर अग्रसर करने में सक्षम है। अतएव सभी को अध्यात्मवादी बनना चाहिए।
अध्यात्म की परिभाषा बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि अध्यात्म दो शब्दों का सुमेल है। अधि और आत्म। अधि का अर्थ है अध्ययन और आत्म भाव आत्मा जब मानव के जीवन में एक ब्रह्मनिष्ट सद्गुरु आते है। तो वे उनकी सुप्त आत्मा का जागरण करते है। जब आत्मा जाग्रत होती है। तो वे अपने भीतर ही परमात्मा का दर्शन करती है। इस आत्म और परमात्मा के मिलन से मानव के अन्तकरण परम प्रकाश से भर उठता है। और भीतर का यही प्रकाश फिर मानव को सही दिशा की ओर उन्मुक्त करता है।
श्री मान बी.डी. कल्ल जी (ऊर्जा जलदाय कला संस्कृति साहित्य एवं पुरातत्व मंत्री, राजस्थान सरकार ) कन्हैया लाल कल्ला जी (उद्योगपति), दाताश्री पंडित रामेश्वरानन्द जी महाराज, सत्यप्रकाश जी जोशी (राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गुजर गौड़ ब्राह्मण महासभा), योगेन्द्र जी दाधीच जी आदी ने प्रभु के पावन चरणों में दीपप्रज्ज्वलन करके महाआरती की एवं श्री मान कल्ला जी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति के कार्यक्रमों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से सनातन संस्कृति के प्रचार के प्रसार में बल मिलता है। संस्कारित मनुष्य जीवन में प्रगति करता है। इसे पूर्व अतिथियों का सत्कार स्वामी श्री चन्द्रशेखरानन्द जी ने साहित्य भेंट करके किया।
📒 📰 📑 पढ़ना और पढ़ाना जीवन सफल बनाना 📚 📖 📓
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