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राज बदलने के बाद श्रमिकों को लबित आवेदनों के निस्तारण की उमीद थी लेकिन इसमें नियोजक प्रमाण-पत्र का नया प्रारूप जारी कर श्रमिकों के सामने समस्या खड़ी कर दी है। श्रम यूनियनों का कहना है कि निर्माण कराने वाला व्यक्ति श्रमिक को कुल लागत की जानकारी क्यों देगा और उसे अपनी आईडी व प्रमाण-पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करके देगा। यदि विभाग को वास्तविकता में उपकर वसूलना है, तो पूर्व की भांति नियोजक प्रमाण-पत्र लिए जाएं और मौके पर जाकर निरीक्षण कर कार्य का अंाकलन किया जाए।
फर्जी निर्माण श्रमिकों को नहीं मिलेगी सहायता
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फर्जी निर्माण श्रमिकों को नहीं मिलेगी सहायताबीकानेर। फर्जी निर्माण श्रमिक बनकर वास्तविक श्रमिकों के हक को छीनने वालों पर श्रम विभाग इस बार पैनी नजर रखेगा। इसके लिए विभाग ने जहां नियोजक प्रमाण-पत्र का प्रारूप बदल दिया है, वहीं ऑनलाइन आवेदन के समय यूनियनों को भी पाबंद कर दिया है। ऑनलाइन पोर्टल में नए श्रमिकों के पंजीकरण से पूर्व उन्हें नियोजक के पेन नबर व टिन नंबर की अनिवार्यता होगी। इसके अभाव में श्रमिक आवेदन नहीं कर पाएंगे। ऐसे में यदि पंजीकरण कराना है, तो उहें पंजीकृत यूनियनों का सदस्य बनकर रसीद कटानी होगी। रविवार से ऑनलाइन पोर्टल में शुरू हुई इस नई व्यवस्था से श्रमिकों में रोष व्याप्त है। हालांकि इससे यूनियनों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
बिजली मिस्त्री बनने की होड़श्रम विभाग के नए प्रारूप के अनुसार नियोजक श्रमिक को कार्य का प्रमाण-पत्र देते समय कार्य की अनुमानित लागत भी लिखेगा। हालांकि दस लाख रुपए से कम के निर्माण कार्य पर श्रम विभाग का उपकर देय नहीं है। ऐसे में अधिकांश श्रमिक बिजली फिटिंग का काम करने वाले बन रहे हैं, वहीं कइयों ने पानी फिटिंग तो कुछ ने रंगकर्मी बनने की इछा जताई है।
राय स्तर पर होगा मंथनश्रम योजनाओं की समीक्षा व श्रमिकों को समय पर लाभ पहुंचाने के लिए राय स्तर पर समीक्षा बैठक आयोजित होनी है। 21 फरवरी को जयपुर में श्रमिक यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में बीकानेर से दो यूनियनों को बुलाया गया है।
राज बदलने के बाद श्रमिकों को लबित आवेदनों के निस्तारण की उमीद थी लेकिन इसमें नियोजक प्रमाण-पत्र का नया प्रारूप जारी कर श्रमिकों के सामने समस्या खड़ी कर दी है। श्रम यूनियनों का कहना है कि निर्माण कराने वाला व्यक्ति श्रमिक को कुल लागत की जानकारी क्यों देगा और उसे अपनी आईडी व प्रमाण-पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करके देगा। यदि विभाग को वास्तविकता में उपकर वसूलना है, तो पूर्व की भांति नियोजक प्रमाण-पत्र लिए जाएं और मौके पर जाकर निरीक्षण कर कार्य का अंाकलन किया जाए।
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