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नानी निहाल हुई :: नातिन का भविष्य प्रज्वल - मिल रहा भामाशाहों से सहयोग - ’एक कोशिश’ ने किशनी देवी की जिदंगी में भरा रंग

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नातिन का भविष्य प्रज्वल - नानी निहाल हुई मिल रहा भामाशाहों से सहयोग
एक कोशिश’ ने किशनी देवी की जिदंगी में भरा रंग
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नातिन का भविष्य प्रज्वल - नानी निहाल हुई मिल रहा भामाशाहों से सहयोग
एक कोशिश’ ने किशनी देवी की जिदंगी में भरा रंग

बीकानेर, 9 फरवरी। छोटे-छोटे नेक काम किसी गरीब और वंचित व्यक्ति की जिदंगी की दिशा बदल देते हैं। जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम द्वारा शुक्रवार को की गई एक छोटी सी मदद एक ऐसी ही मिसाल साबित हुई। शायद जिला कलक्टर खुद नहीं जानते थे कि उनके द्वारा बढाया गया मदद का एक हाथ देशनोक निवासी उस महिला और उसके परिवार के लिए इतने बड़े संबल का जरिया बन जाएगा। 
भीख मांगती बच्ची को स्कूल भेजने और उसके परिवार को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के गौतम के निर्देश के बाद ज्यों ही यह खबर फैली। कई भामाशाह इस परिवार की मदद के लिए आगे आए। बीकानेर विकास अधिकारी ने बताया कि इस परिवार की खाने पीने और कपड़ों की व्यवस्था एक भामाशाह के माध्यम से तुरंत कर दी गई है,तो दूसरी ओर सरकार की कल्याणकारी पालनहार योजना के तहत परिवार को एक मुश्त दो हजार रूपए दिए जाने व बच्ची को स्कूल भेजने प्रक्रिया भी सोमवार से प्रारंभ हो जाएगी। इस बच्ची के मां-बाप नहीं है। अतः बच्ची को हर माह एक हजार रूपये की सहायता इस योजना के माध्यम से मिल सकेगी। अपनी नानी के साथ झौंपड़ी में रहने वाली इस नन्हीं बालिका के लिए पक्के मकान की व्यवस्था के लिए एक लाख रूपए खर्च कर मकान बनवाया जाएगा। 
जिला कलक्टर का कहना है कि समाज में सैंकड़ों लोग वंचित है। जिला कलक्टर उम्मीद करते हैं कि समाज के सक्षम व्यक्ति अपने आस-पास के ऐसे लोगों को इन योजनाओं की जानकारी दें और उन्हें इन योजनाओं का लाभ दिलवाने में मददगार बनें, तो सूरत बदलते देर नहीं लगेगी। 
अकेला चना भले भाड़ नहीं फोड़ सकता, परन्तु समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए उठा एक अकेला हाथ हजारों लोगों को ऐसे नेक काम में योगदान देने के लिए प्रेरित जरूर कर सकता है और किशनी देवी जैसी हजारों जिदगियों में रोशनी की किरण जरूर ला सकता है। जिला कलक्टर का यह प्रयास उस मछुआरे की कोशिश की तरह है जो समुद्र से बाहर आई सैंकड़ों मछलियों को जीवन देने के लिए एक-एक मछली को उठाकर पुनः समुद्र में डाल रहा था। भले ही इस कोशिश में सारी मछलियों को जिदंगियों पर फर्क न पड़े पर एक भी मछली को जिदंगी मिली तो यह कोशिश कम से कम उस मछली के लिए तो बड़ा फर्क साबित हो सकेगी।



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