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यशोदा ने जायो ललना, मैं जमुना पे सुन आई ...

यशोदा ने जायो ललना, मैं जमुना पे सुन आई ........
बीकानेर। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वाधान में अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ  के दौरान मंगलवार को नंदोत्सव मनाया गया। कृष्ण का जन्म होने के साथ ही पांडाल में जैसे ही अरूण अग्रवाल नंदबाबा बनकर जसोदा बनी कविता और कान्हा के साथ पहुंचे वैसे ही नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की जयघोष से गूंज उठा। महिलाओं ने भजन पर नृत्य किया। श्रद्धालु बधाई गीतों पर घंटो झूमते रहे। यशोदा ने जायो ललना, मैं जमुना पे सुन आई व नन्द घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की श्री कृष्ण के प्राकट्य की कथा के बीच कथा स्थल भगवान कृष्ण के जय जयकारों से गूंज उठा। हर कोई बाल कृष्ण की एक झलक पाने को लालायित नजर आया।  पुष्पवर्षा के साथ ही टॉफी और चॉकलेट भी उछाले गये। रंगबिरंगे गुब्बारों को फोडऩे के लिये बच्चों में होड़ मच गयी। इस मौके पर यहां कृष्ण जन्म से जुड़ी सजीव झांकी भी सजाई गई। इससे पहले कथा वाचन करते हुए के किशोरीलाल जी महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर पाने के लिए देवता भी तरसते हैं, क्योंकि धरती से ज्यादा सुंदर कोई नहीं। स्वर्ग में कथा नहीं होती केवल धरती पर ही भगवान की कथा सुनने को मिलती है। उन्होंने कहा कि भगवान के लिए अपनी प्यास जगाएं। वह ज्ञान नहीं भक्ति का विषय है, जो विश्वास और समर्पण से ही प्राप्त होती है। महाराज श्री ने कहा कि परमात्मा की भक्ति जीवन को श्रेष्ठ बनाने का सबसे बड़ा माध्यम होती है। निष्काम भाव से की गई ईश्वर की आराधना से मनुष्य का जीवन सार्थक होता है। भगवान की भक्ति से परम की प्राप्ति संभव है। परमात्मा की निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति सभी दुखों को हरने वाली होती है। महारज ने कहा कि भक्तों को चाहिए कि वे अपना कष्ट लोगों के सामने नहीं बल्कि प्रभू से कहें। वह सर्वज्ञ हैं। व्यक्ति को किसी की निन्दा करने की जगह भगवान की चर्चा करनी चाहिए। इससे प्रभू कृपा हासिल होती है।

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