खबरों में बीकानेर 🎤
जुकाम-बुखार को हल्के में ना लें
स्वाइन फ्लू व जीका के उपचार का प्रशिक्षण आयोजित
बीकानेर। कोई जुकाम-बुखार स्वाइन फ्लू हो सकता है इसलिए चिकित्सक आईएलआई लक्षणों वाले मरीजों की जांच-उपचार नियमानुसार निर्धारित ए, बी व सी श्रेणी के मानकों अनुसार करें क्योंकि स्वाइन फ्लू से जनहानि के पीछे कारण में इलाज में देरी या मरीज की लापरवाही रहती है। गुरूवार को स्वास्थ्य भवन में स्वाइन फ्लू व जीका के उपचार को लेकर आयोजित प्रशिक्षण में चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एच.एस. बराड़ ने चिकित्सकों को उक्त निर्देश देते हुए समय रहते स्वाइन फ्लू के उचित प्रबंधन की हिदायत दी।
सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा ने पीएचसी स्तर तक टेमी फ्लू (ओसल्टामिविर) का उचित स्टॉक रखने, नियमित रिपोर्टिंग करने व जनजागरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने में स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्वाइन फ्लू मरीज गंभीर अवस्था में सीधा पीबीएम अस्पताल पहुंचता है तो उस क्षेत्र के चिकित्साधिकारी, ए.एन.एम. व आशा को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार मानते हुए कड़ी कार्यवाही की जाएगी क्योंकि अपने कार्य क्षेत्र में रोग निगरानी उनका प्राथमिक कर्तव्य है। खांसते व छींकते समय हवा द्वारा आसानी से फैलने वाले इन्फ्लूएंजा एच1एन1 वायरस को पूरी तरह काबू करने तथा इस वजह से सम्भावित जन हानि को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि जनवरी 2018 में जिले में स्वाइन फ्लू के 3 केस पॉजिटिव आए थे और अब सर्दियों की शुरुआत के साथ ही स्वाइन फ्लू के फैलाव के लिए अनुकूल समय शुरू हो गया है।
प्रशिक्षण में डॉ. बिंदु गर्ग ने जीका बुखार के प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया। महेंद्र कुमार व मनोज आचार्य द्वारा मौसमी बीमारियों की आईडीएसपी की रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. योगेन्द्र तनेजा, आरसीएचओ डॉ. रमेश गुप्ता, डीपीएम सुशील कुमार, सभी खण्डों के बीपीएम, विभिन्न ग्रामीण-शहरी पीएचसी-सीएचसी के चिकित्सक व डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हुए।
जुकाम-बुखार को हल्के में ना लें
स्वाइन फ्लू व जीका के उपचार का प्रशिक्षण आयोजित
बीकानेर। कोई जुकाम-बुखार स्वाइन फ्लू हो सकता है इसलिए चिकित्सक आईएलआई लक्षणों वाले मरीजों की जांच-उपचार नियमानुसार निर्धारित ए, बी व सी श्रेणी के मानकों अनुसार करें क्योंकि स्वाइन फ्लू से जनहानि के पीछे कारण में इलाज में देरी या मरीज की लापरवाही रहती है। गुरूवार को स्वास्थ्य भवन में स्वाइन फ्लू व जीका के उपचार को लेकर आयोजित प्रशिक्षण में चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एच.एस. बराड़ ने चिकित्सकों को उक्त निर्देश देते हुए समय रहते स्वाइन फ्लू के उचित प्रबंधन की हिदायत दी।
सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा ने पीएचसी स्तर तक टेमी फ्लू (ओसल्टामिविर) का उचित स्टॉक रखने, नियमित रिपोर्टिंग करने व जनजागरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने में स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्वाइन फ्लू मरीज गंभीर अवस्था में सीधा पीबीएम अस्पताल पहुंचता है तो उस क्षेत्र के चिकित्साधिकारी, ए.एन.एम. व आशा को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार मानते हुए कड़ी कार्यवाही की जाएगी क्योंकि अपने कार्य क्षेत्र में रोग निगरानी उनका प्राथमिक कर्तव्य है। खांसते व छींकते समय हवा द्वारा आसानी से फैलने वाले इन्फ्लूएंजा एच1एन1 वायरस को पूरी तरह काबू करने तथा इस वजह से सम्भावित जन हानि को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि जनवरी 2018 में जिले में स्वाइन फ्लू के 3 केस पॉजिटिव आए थे और अब सर्दियों की शुरुआत के साथ ही स्वाइन फ्लू के फैलाव के लिए अनुकूल समय शुरू हो गया है।
प्रशिक्षण में डॉ. बिंदु गर्ग ने जीका बुखार के प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया। महेंद्र कुमार व मनोज आचार्य द्वारा मौसमी बीमारियों की आईडीएसपी की रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. योगेन्द्र तनेजा, आरसीएचओ डॉ. रमेश गुप्ता, डीपीएम सुशील कुमार, सभी खण्डों के बीपीएम, विभिन्न ग्रामीण-शहरी पीएचसी-सीएचसी के चिकित्सक व डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हुए।
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