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ऋषि बोधोत्सव : आर्य समाज, महर्षी दयानंद मार्ग में हुआ अनुष्ठान
बीकानेर
"परमात्मा कल्याण स्वरूप और कल्याण करने हारा होने से परमात्मा का एक नाम "शिव" है। परमात्मा निराकार , अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि होने से इसे मूर्ति रूप में देखना अज्ञानता है , उसकी पूजा करने से परमात्मा की प्राप्ति नही हो सकती बल्कि ध्यान, साधना और उत्तम व्यवहार से अनुभूति हो सकती है ।"" ये शब्द अपने उद्बोधन में श्री केसरमल चौधरी, एसोसीयेट प्रोफेसर, डुंगर महाविद्यालय, बीकानेर ने ऋषि बोधोत्सव के अवसर पर आर्य समाज, महर्षी दयानंद मार्ग, बीकानेर की गंगाशहर स्थित शाखा sbi बैंक के पीछे, बीकानेर में आज कहे ।
डॉ संजय गर्ग, प्रोफेसर, एस पी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर ने भजन के माध्यम से ऋषि बोध का मधुर स्वर में प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया ।
विदुषी सुश्री सुबोध बाला ने कहा कि शिवरात्रि को जागरण बेला के रूप मनाना उचित होगा।
प्रधान महेश आर्य ने कहा कि वेदों में कही भी मूर्तिपूजा का उल्लेख नहीं है । किसी भी बात का निर्णय तर्क व सत्यासत्य के आधार होना उचित है इसके लिये सत्यार्थप्रकाश का स्वाध्याय करना श्रेष्ठ है ।
इस अवसर पर डॉ सतीश जी कच्छावा, पूर्व पीएमओ,बीकानेर, श्री धर्मवीर, श्री नरसिंह आर्य ने कहा कि महर्षि के बताए मार्ग का अनुसरण करने से ही अंधविस्वाश, पाखण्ड का निराकरण संभव है ।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्रीमती पुष्पादेवी तथा कुसुम देवी के यज्ञमानत्व तथा श्रीकेसरमल जी के ब्रह्मत्व में हुवा जिसमे श्रद्धालुओं ने आहुतियां दी।
श्रीमती रूपादेवी, उषा देवी, कुसुम, पुष्पादेवी आदि ने सुन्दरबोल के भजन की प्रस्तुति देकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी ।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री भगवती प्रसाद ने किया । शांतिपाठ के पश्चात वैदिक उद्घोष के साथ कार्यक्रम के समापन के बाद यज्ञ शेष का वितरण हुवा ।
C P MEDIA
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