Type Here to Get Search Results !

साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा - भाषा में परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है, कहानी मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है

खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 / twitter, YouTube के साथ-साथ Facebook, Pinterest, LinkedIn और Instagram पर भी .. 👇👇👇 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ 👇👇👇 🎤🤜 👇👆👇👆👇☝️ .. 👇👇👇 👇
साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा - भाषा में परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है, कहानी मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है
👇👇 👇👇👇👇👇
......
......

.....
...
.....
. ✍️ *फोटो लॉन* 📷🎬📸☑️*********🙏👍🙏 खबरों में बीकानेर 🎤 🌐 ✍️ ... 👇👇👇👇👇👇👇

एमजीएसयू व साहित्य अकादमी की राजस्थानी कहानी पर आधारित संगोष्ठी का हुआ समापन


साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा - भाषा में परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है, कहानी मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है

एमजीएसयू व साहित्य अकादमी , नई दिल्ली द्वारा राजस्थानी कहानी : परंपरा की दृष्टि और आधुनिकता की पहचान विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन डाॅ. नमामि शंकर आचार्य के संयोजन में डाॅ. नीरज दइया व कृष्ण कुमार आशु  ने राजस्थानी कहानी के शिल्प, प्रयोग-प्रभाव पर बात की ।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाडी ने कहा कि भाषा में परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है कहानी मनुष्य जीवन की प्रतिलिपि है। 
अजमेर के साहित्यकार लक्ष्मीकांत व्यास ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बदलते परिवेश में कहानी विधा में भी परिवर्तनशीलता का गुण समाहित होना आवश्यक है । वही कहानी लिखी जानी चाहिए जो समाज चाहता है। समापन समारोह का मुख्य आकर्षण डाॅ. नमामि शंकर आचार्य द्वारा मूल लेखक डाॅ. राजशेखर पुरोहित की अनूदित पुस्तक "भारत रो अकीकरण" का अतिथियों द्वारा मंच से लोकार्पण रहा। वहीं इक्कीसवीं सदी की राजस्थानी कहानियों पर प्रकाश डालते हुए ओमप्रकाश भाटिया ने कहा कि सूचना की उम्र कम होती है जबकि साहित्य की उम्र लंबी होती है। 
चौथे सत्र में डाॅ गौरीशंकर प्रजापत के संयोजन में व मारवाड़ रत्न देवकिशन राजपुरोहित की अध्यक्षता में कमल रंगा ने राजस्थानी कहानी में युगबोध की बात कही, बुलाकी शर्मा ने कहानी विधा की संभावनाओं पर प्रकाश डाला तो रामकुमार घोटड़ ने लघुकथा परंपरा पर अपने पत्रों के माध्यम से विचार साझा किए । देवकिशन राजपुरोहित री टाळवी कहानियों पर डाॅ. नीरज दइया द्वारा संपादित पुस्तक का भी लोकार्पण अकादमी के मंच से हुआ।
आयोजन की स्थानीय समन्वयक व राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने समापन सत्र का संयोजन करते हुए कहा कि उत्तरआधुनिकता को प्रतिबिंबित करता स्त्री विमर्श आधारित साहित्य आज वक्त की ज़रूरत बन चुका है। 
( आज का विचार : जो आपका सम्मान नहींं करता आप उसे अपमानित न करें, बस उपेक्षित बना दें) 
-✍️ मोहन थानवी


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies