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शिक्षा बदलाव का सबसे प्रभावी, मजबूत एवं कारगर साधन - उपराष्ट्रपति






















शिक्षा बदलाव का सबसे प्रभावी, मजबूत एवं कारगर साधन - उपराष्ट्रपति

जयपुर, 17 जनवरी। भारत के उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा बदलाव का सबसे प्रभावी, मजबूत एवं कारगर साधन है। ज्ञान की शक्ति से ही आज भारत दुनिया की पांचवी आर्थिक महाशक्ति है। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, अगले 2-3 वर्ष में जर्मनी और जापान भी हमसे पीछे हो जाएंगे और भारत जहां दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा रहता है, वह तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

 धनखड़ ने बुधवार को टोंक जिले के निवाई कस्बे में स्थित वनस्थली विद्यापीठ के 40वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। वे फौज में जा रही है, फाइटर प्लेन उड़ा रही है, चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने छात्राओं से कहा कि आपको असफलताओं से डरना नहीं है। अगर आप असफलता से डरते है, तो सफलता का रास्ता बंद हो जाता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस टेक्नोलॉजी के युग में हमें अपने परिजनों, बुजुर्गों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने आपके लिए बहुत कष्ट सहे है, इसलिए आपका यह दायित्व है कि उनका सहारा बनें और समय दें। समय उनके लिए सबसे बड़ी ताकत है। भारत को 2047 में दुनिया का सबसे विकसित देश बनाने का भार युवा पीढ़ी के कंधों पर है। आज भारत क्वांटुम कंम्प्यूटिंग, ग्रीन हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। देश में रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे एवं सड़कों की स्थिति में अप्रत्याशित बदलाव आया है।

 धनखड़ ने कहा कि विश्व में महिलाआंे की सबसे बड़ी आवासीय शिक्षण संस्था के 40वें दीक्षांत समारोह में भाग लेना मेंरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। मैं पंडित हीरालाल शास्त्री, रतन शास्त्री एवं उन सभी व्यक्तियों को जिन्होंने इस संस्था को बनाने एवं महानता तक पहुंचाने का कार्य किया उन सभी को साधुवाद देता हूॅ। उन्होंने कहा कि सादा जीवन उच्च विचार इस संस्था के मूल सिंद्धातों में है। छात्राओं का आचरण और यहां की व्यवस्था किसी गुरुकुल से कम नहीं है। वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक पंडित हीरालाल शास्त्री राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री एवं संविधान निमात्री सभा के सदस्य रहे है। यह गौरव की बात है। वनस्थली विद्यापीठ पिछले 9 दशकों से लाखों महिलाओं को सशक्त कर शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। मैं वनस्थली विद्यापीठ को विश्व पटल पर देखना चाहता हूॅ और मेरा विश्वास है कि यह नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय की तरह विश्व में अपना स्थान अर्जित करेंगी।

श्री धनखड़ ने सरकार के महिला सशक्तिकरण, आर्थिक प्रगति एवं महिला विकास और उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाआंे, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, हर घर नल जल योजना आदि का उल्लेख किया। अपने उद्बोधन के अंत में संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्मरण करते हुए छात्राओं को आव्हान करते हुए कहा कि आप पहले भारतीय, अंतिम भारतीय और सिर्फ भारतीय है। इसे सदैव याद रखें। आज आपको डिग्री मिल गई है। परंतु आपका अध्ययन समाप्त नहीं हुआ है। आज आपकी भूमिका और बढ़ गई है। आप राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करें।

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ सपत्नीक बुधवार को वनस्थली विद्यापीठ के 40वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उपराष्ट्रपति एवं प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी भारतीय वायुसेना के विमान से वनस्थली विद्यापीठ पहुंचे। इसके पश्चात उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ वनस्थली विद्यापीठ की मूल प्रेरणा शक्ति स्थल श्री शांता बाई शिक्षा कुटीर एवं गांधी घर गये। इसी स्थान पर उपराष्ट्रपति ने सपत्नीक विद्यापीठ परिवार की पूर्व छात्रा डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ पौधारोपण किया। दीक्षांत समारोह में निवाई-पीपलू विधायक रामसहाय वर्मा एवं जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।

4 हजार 635 छात्राओं को उपाधि प्रदान की

उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने वनस्थली विद्यापीठ में अध्ययनरत विभिन्न संकायों की 4 हजार 635 छात्राओं को उपाधियां प्रदान की। जिनमें 233 दीक्षार्थियों को पीएचडी उपाधि एवं 119 छात्राओं को मुख्य अतिथि ने स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।


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