खबरों में बीकानेर
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आसक्ति चाहे किसी की भी हो नहीं रखनी चाहिए - आचार्य विजयराज जी म.सा.
संयम से पहले संकल्प और बाद में समर्पण होना चाहिए -आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.
नमोकार मंत्र व्यक्ति को नहीं, गुणों को नमस्कार करता है- आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.
बीकानेर। किसी ने पूछा गुरुदेव संयम से पहले क्या..? और संयम के बाद क्या..? गुरुदेव ने कहा संयम से पहले संकल्प और संयम के बाद समर्पण होना चाहिए। अगर हम संकल्प करते हैं तो संयम आसान हो जाता है और संकल्प नहीं करते हैं तो संयम मुश्किल हो जाता है। संकल्प से हम सिद्धी की प्राप्ति करते हैं और संकल्प के बगैर इन्द्रियों का दमन नहीं हो सकता। यह सद्ज्ञान श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने रविवार को सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में अपने नित्य प्रवचन के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को दिया। आचार्य श्री ने कहा कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति, आनंद से ही हमें साता वेदनीय की प्राप्ति होती है। हम सभी यही चाहते हैं कि हमारी शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति बनी रहे। लेकिन यह शांति हमें इन्द्रियों के दमन से ही प्राप्त हो सकती है। अगर शुरू से ही हम इन्द्रियों को अपने वश में रखें तो जीवन में साता की प्राप्ति की जा सकती है। परन्तु लोग समय का मूल्य नहीं समझते और अपने आप को अज्ञानता वश भटकाते रहते हैं। जिसकोभी यह ज्ञात हो जाता है कि मेरे जीवन की यह घडिय़ां अनमोल है, फिर वह अपने जीवन को सार्थक करने में लगा देता है।
महाराज साहब ने कहा कि ‘अनमोल घड़ी यह जीवन की’ यह याद रखो समय ना खरीदा जा सकता है और ना ही बेचा जा सकता है। आज तक दुनिया में अनेकानेक सिद्धीशाली, रिद्धीशाली और वैभवशाली लोग हुए लेकिन कोई भी जीवन की घडिय़ों को खरीदने में सफल नहीं हो सका। भगवान महावीर ने अपने निर्वाण समय में भगवान इन्द्र से जब संवाद हुआ तब उनसे कहा था कि हे इन्द्र, आयुष्य की शक्ति बढ़ाने का सामथ्र्य मेरे अन्दर नहीं है। भगवान महावीर जब यह बात इन्द्र से कहते हैं तो समझो कि हम और आप क्या हैं। आज लोग आयुष्य बढ़ाने के लिए क्या-क्या उपाय नहीं करते। हर तरह के उपाय ख्करते हैं। शक्तिवर्धक दवाइयां, खान-पान और ऐसे अनेक जतन करते हैं। लेकिन ज्ञानीजन कहते हैं कि जिसको कालधन जिस आयु में मिलना होता है, वह उसी आयु में प्राप्त होता है। इसलिए हमें यह कला सीखनी है कि हमें जितनी जिंदगी मिली है उसका मूल्य समझना है क्योंकि यह जिंदगी अनमोल है।
संयम से होती सिद्धी की प्राप्ति
आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने कहा कि संयम के बगैर सिद्धी की प्राप्ति नहीं होती है। संयम के बल पर सिद्धी प्राप्त हो सकती है, अगर हम अपने आप पर थोड़ा सा नियंत्रण रखें तो अनेक आधि-व्याधि (मानसिक कष्ट या चिंता और शारीरिक पीड़ा)से बच सकते हैं। लेकिन अगर हमारा नियंत्रण इन्द्रियों पर नहीं है तो हमारा जीवन व्याधियों से घिरा रहता है।
श्रावक संघों का आगमन जारी, दर्शनलाभ के लिए उमड़ा जन समूह
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि रविवार को आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब के दर्शनार्थ और उनके श्रीमुख से जिनवाणी का श्रवण करने के लिए विजयनगर, बहरोड़, इरोड़, राजनंदगांव, चितौड़, ब्यावर सहित आसपास के क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं के आने का क्रम जारी रहा। इसके चलते ढ़ढ्ढा कोटड़ी में धार्मिक सभा में भारी भीड़ रही। बहुत से संघ के सदस्यों ने अपने विचार धर्मसभा में रखे और जिनशासन को मजबूत करने के लिए संकल्प लिए।

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