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अपने रंग हजार

अपने रंग हजार...
गणपति के देश में
मिट्टी और पानी के संग
बनते-संवरते प्रकृति के रंग
और
हम सब रंग जाते एक ही रंग में
गणपति के देश में
- मोहन थानवी

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