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दूसरों से जलन और अति महत्वकांक्षा होना भी कर रहा दिल को कमजोर – जयपुर हार्ट रिद्म समिट (जेएचआरएस) 2025 में विशेषज्ञों ने दी चौंकाने वाली जानकारी

दूसरों से जलन और अति महत्वकांक्षा होना भी कर रहा दिल को कमजोर


– जयपुर हार्ट रिद्म समिट (जेएचआरएस) 2025 में विशेषज्ञों ने दी चौंकाने वाली जानकारी

जय श्री गणेश


bahubhashi.blogspot.com
2 सितम्बर 2025 मंगलवार

खबरों में बीकानेर


✒️@Mohan Thanvi

दूसरों से जलन और अति महत्वकांक्षा होना भी कर रहा दिल को कमजोर


– जयपुर हार्ट रिद्म समिट (जेएचआरएस) 2025 में विशेषज्ञों ने दी चौंकाने वाली जानकारी

जयपुर। अगर आप दूसरों से ईर्ष्या रखते हैं या हर समय तनाव, गुस्से और प्रतिस्पर्धा में रहते हैं, तो यह सिर्फ आपके मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि दिल के लिए भी खतरनाक हो सकता है। इटर्नल हॉस्पिटल जयपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस जयपुर हार्ट रिद्म समिट 2025 में देशभर से आए विशेषज्ञों ने बताया कि ईर्ष्या जैसे व्यवहार आपके हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, हार्ट की नसें संकुचित होती हैं और हार्ट रेट तेज हो जाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। 

कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन एवम इटर्नल हॉस्पिटल कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन
 डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि इटर्नल हॉस्पिटल और हल्दी हार्ट ग्रुप की ओर से आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में दिल की धड़कन से संबंधित बीमारियों पर हो रही नवीनतम रिसर्च और इलाज की नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी साझा की गई। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. कुश कुमार भगत ने बताया कि पहले दिन डॉ. सी.बी. मीणा ने नेरो क्यूआरएस टैकिकार्डिया की क्लिनिकल डायग्नोसिस पर व्याख्यान दिया, वहीं डॉ. सुचित मजूमदार ने ब्रॉड कॉम्प्लेक्स टैकिकार्डिया, डॉ. कार्तिकेय भार्गव ने हार्ट फेल्योर में आईसीडी, सीआरटी, सीएसपी थैरेपी के परिणाम बताए। 

शुगर कोटेड एनिमी—एसीएस व टाइप-2 डायबिटीज पर बीकानेर के डॉ. पिंटू नहाटा ने अपनी रिसर्च प्रस्तुत की। 

एड्रीजर्निक रिसेप्टर बढ़ने से संकुचित होती हार्ट की आर्टरी – 
बीकानेर मेडिकल कॉलेज के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पिंटू नाहटा ने बताया कि ईर्ष्यालु प्रवृत्ति, अति महत्वाकांक्षी होना आपको टाइप -ए पर्सनेलिटी में रखता है जिसमें शरीर के एड्रीजर्निक रिसेप्टर बढ़ जाते हैं। इससे बीपी बढ़ता है और हार्ट की आर्टरी (नसें) संकुचित होने लगती हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है और हार्ट कमजोर भी होने लगता है। नसों में थक्के बनने और हार्ट की अंदरूनी दीवारें फटने की संभावना बढ़ जाती है।


एथलीट भी कराएं ईसीजी और इको जांच – 
डॉ. सुचित मजूमदार ने बताया कि फिजिकल फिटनेस और हार्ट की फिटनेस में अंतर होता है। ऐसा जरूरी नहीं कि जो शारीरिक रूप से फिट है, उसे हार्ट से जुड़ी समस्या नहीं हो सकती। इसीलिए एथलीट्स को भी साल के दो बार ईसीजी और इको जैसी जांचें जरूर करवानी चाहिए जिससे अचानक होने वाली कार्डियक डेथ को रोका जा सके।



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