बीकानेर में करोड़ों में किसी एक को होने वाली बीमारी से पीड़ित जुड़वा भाई-बहन का जन्म उम्मीद : स्वस्थ होने का आंकड़ा 10 प्रतिशत
उम्मीद : स्वस्थ होने का आंकड़ा 10 प्रतिशत
-बीकानेर में करोड़ों में किसी एक को होने वाली बीमारी से पीड़ित जुड़वा भाई-बहन का जन्म
उम्मीद : स्वस्थ होने का आंकड़ा 10 प्रतिशत
*खबरों में बीकानेर*
उम्मीद : स्वस्थ होने का आंकड़ा 10 प्रतिशत
-बीकानेर में करोड़ों में किसी एक को होने वाली बीमारी से पीड़ित जुड़वा भाई-बहन का जन्म
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हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी के बारे में जानकारी
बीकानेर में करोड़ों में किसी एक को होने वाली बीमारी से पीड़ित जुड़वा भाई-बहन का जन्म
उम्मीद : स्वस्थ होने का आंकड़ा 10 प्रतिशत
नोखा/बीकानेर ।
नोखा में हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ है। परिजनों के लिए आशा की किरण यह है कि इस बीमारी के उपचार और देखभाल से 10 प्रतिशत बच्चों के पूरी तरह से ठीक होने की बात भी सामने आई है । डॉक्टर के मुताबिक मां-बाप के जीन में गड़बड़ी की वजह से नवजात में यह बीमारी होती है। इस बीमारी में बच्चा शरीर पर प्लास्टिक की तरह दिखने वाली परत के साथ पैदा होता है। इस बीमारी के कारण शिशु त्वचा और अविकसित आंखों के बिना पैदा होते हैं।
इस दुर्लभ बीमारी के साथ जन्मे जुड़वा बच्चों में एक लड़की और दूसरा लड़का है। इनकी स्किन प्लास्टिक जैसी है। नाखून की तरह हार्ड होकर चमड़ी फटी हुई है। जिनकी हालत गंभीर होने के कारण उन्हें बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
नोखा के प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर विशेष चौधरी ने बताया कि ये जुड़वा बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। जिसमें नवजात त्वचा और अविक सित आंखों के बिना पैदा होते हैं। ऐसा देखा गया है कि अधिकांश मामलों में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सिर्फ एक सप्ताह तक ही जीवित रह पाते हैं और उनकी मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक होती है। उनकी समय पर जांच जरूरी है। डॉक्टर ने कहा कि उसकी स्किन नाखूनों की तरह कठोर होकर फटी हुई है। इस वजह से इंफेक्शन का खतरा अधिक है।
डॉक्टर के मुताबिक मां-बाप के जीन में गड़बड़ी की वजह से नवजात में यह बीमारी होती है। इस बीमारी में बच्चा शरीर पर प्लास्टिक की तरह दिखने वाली परत के साथ पैदा होता है। चमड़ी सख्त होकर फटने लगती है महिला और पुरुष में 23-23 क्रोमोसोम पाए जाते हैं। यदि दोनों के क्रोमोसोम संक्रमित हो तो पैदा होने वाला बच्चा इचिथोसिस हो सकता है। धीरे-धीरे यह परत फटने लगती है और उससे होने वाला दर्द असहनीय होता है। यदि संक्रमण बढ़ा तो उसका जीवन बचा पाना मुश्किल होगा।
कई मामलों में ऐसे बच्चे दस दिन के अंदर इस परत को छोड़ देते हैं। इस बीमारी की वजह से 10 प्रतिशत बच्चे पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं, लेकिन इन्हें भी जीवन भर त्वचा संबंधी समस्याएं रहती हैं। उनकी चमड़ी सख्त हो जाती है और जीवन जीना कठिन होता है।
युगपक्ष
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