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उदयरामसर की दादाबाड़ी में मेला,भक्ति संगीत, पूजा
बड़ी संख्या में जैन बंधुओं ने निभाई
भागीदारी, किया एक दूसरे से क्षमापना
बीकानेर, 18 सितम्बर। उदयरामसर की 346 वर्ष प्राचीन प्रथम दादा गुरुदेव जिन दत्त सूरीश्वरजी की दादाबाड़ी में श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में 197 वां सालाना मेला आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में भरा । मेले में आचार्यश्री के सान्निध्य में मंगलवार रात को भक्ति संगीत संध्या, बुधवार को स्नात्र पूजा व उसके बाद दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा भक्ति संगीत के साथ की गई। विभिन्न पंथ के जैन समाज के श्रावक-श्राविकाओं ने हिस्सा लिया तथा एक दूसरे से वर्ष भर में हुई मन, वचन व काया से हुई भूलों, गलतियों के प्रति क्षमा याचना की।
प्रन्यास पदाधिकारियों सहित अनेक जैन संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता सेवाएं दे रहे थे। सिंकजी व शरबत की निःशुल्क स्टॉल लगाई गई। स्टॉल में आचार्यश्री अपने सहवृति मुनियों के साथ पहुंचे तथा कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद दिया। उप अधीक्षक पुलिस व अन्य अधिकारियों ने मेले के संबंध में जानकारी ली। मेला स्थल पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया गया। खानपान की वस्तुओं की अनेक स्टॉले, प्राचीन मुद्रा की स्टॉल,झूले, खिलौनों आदि की स्टॉले लगी थी । श्रावक-श्राविकाओं ने घुड़ सवारी व ऊंट की सवारी का भी रेतीले धारो में आनंद लिया।
जैन श्वेताम्बर दिगम्बर समाज, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, तपागच्छ, पार्श्वचन्द्र गच्छ, तेरापंथ व साधुमार्गी जैन संघ के श्रावक-श्राविकाओं ने एक जाजम पर बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। श्रावक-श्राविकाओं के लिए पेयजल, विशाल टैंट का विश्राम स्थल सहित विभिन्न आवश्यक व्यवस्थाओं की सुविधा सुलभ करवाई गई। पिछले वर्षों में जहां ऊंट गाड़ों पर श्रावक-श्राविकाएं आते थे, इस बार उनकी संख्या गिनी चुनी रही। मुकीब बोथरा सहित बीकानेर शहर के अनेक जैन बहुल्य मोहल्लों से श्रावक-श्राविकाएं पैदल दादा के दरबार में पहुंचे थे। मेलार्थी विभिन्न वाहनों से उदयरामसर मंगलवार रात को ही पहुंचने शुरू हो गए। गुरुवार को दोपहर बाद से सूर्यास्त तक मेला पूर्ण परवान पर रहा। मेले में अनेक सेवाभावी श्रावक-श्राविकाओं ने सेवाएं दी। शांति एवं व्यवस्था, यातायात व्यवस्था के लिए पुलिस की नफरी तैनात थी।
पुलिस प्रशासन व सकलश्री संघ का मेले की व्यवस्थाओं में सहयोग पर आभार जताया गया ।
चार घंटे चली दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा
दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा करीब चार घंटें चली। आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के साथ मुनिवृंद, गायक, विचक्षण महिला मंडल ने दादा गुरुदेव के भजनों के साथ अक्षत, फल,फूल, नैवेद्य, ध्वजा, दीपक सहित विभिन्न पूजाओं के दौरान अनेक रागों पर आधारित भजनों की प्रस्तुति दी। दादा गुरुदेव की चरण पादुकाओं व भगवान वासुपूज्य स्वामी मंदिर में विशेष फूलों व रोशनी से सजावट की गई।
एक शाम दादा जिन दत्त सूरि गुरुदेव के नाम
मंगलवार रात को दादाबाड़ी में भक्ति संगीत संध्या आयोजित की गई। विभिन्न पारम्परिक व आधुनिक तर्जों पर आधारित भक्ति गीतों से उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को साथ में गाने व थिरकने को मजबूर कर दिया। प्रन्यास के सहयोग से आयोजित भक्ति संगीत संध्या में मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी थीं। सिंघवी ने कहा कि ’’जिओ और जीने पदो’’ अहिंसा परमो धर्म’’ जैन समाज का मूल मंत्र है। इस मंत्र को आत्मसात करते हुए किसी का मन, वचन व काया से दिल नहीं दुखाएं, बुरा नहीं करें। जैन समाज अपने आचार व व्यवहार को पूर्ण जैनत्व के आधार पर श्रेष्ठ बनाएं,जिससे दूसरे समाज के लोग भी प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि रात्रि भोजन का त्याग, पानी को उबाल कर पीना आदि जैन समाज के अनेक नियम पूर्ण वैज्ञानिक है। उन्होंने कहा कि बीकानेर साम्प्रदायिक सौहार्द व आपसी भाईचारे की तथा उदयरामसर का यह मेला जैन एकता, सामूहिक क्षमापना की मिसाल है। इस अवसर पर श्रीमती सिंघवी का अभिनंदन व अतिथियों व कलाकारों का स्वागत किया गया ।
स्नात्र पूजा
आचार्यश्री जिन पीपूयष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में बुधवार को सुबह दादाबाड़ी में स्नात्र पूजा की गई। पूजा में अनेक ज्ञान वाटिका के बच्चों के परिजन शामिल हुए।
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