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गुरु- सम दाता कोई नहीं
वयोवृद्ध आदर्श शिक्षक श्री भंवरलालजी राजपुरोहित का नागरिक अभिनंदन समारोह
श्रीडूंगरगढ़। शुक्रवार को राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के प्रांगण में 92 वर्षीय आदर्श शिक्षक श्री भंवरलालजी राजपुरोहित का नगर के कृतज्ञ शिष्यों तथा नागरिकों द्वारा भावभीना अभिनंदन किया गया। उन्हें शिष्यों की ओर से दो लाख तेवीस हजार रुपये की थैली तथा शाॅल, श्रीफल, साफा अभिनंदन पत्र समर्पित किया गया। शिवमिडिल स्कूल, बालभारती स्कूल, एजी मिशन स्कूल तथा लेंग्वेज ट्री संस्थान की ओर भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश राठी ने गुरुजी के शैक्षिक योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपसे अध्ययन प्राप्त कर हजारों विद्यार्थी अपने जीवन में सफल हुए हैं। श्रीडूंगरगढ़ नगर की परंपरा रही है, वह अपने विद्वानों और श्रेष्ठ जनों का सम्मान कर उपकृत होता है।
मुख्य अतिथि शोभाचंद आसोपा ने कहा कि गुरुजी के योगदान को जितना व्याख्यायित किया जाए, उतना कम है। इनकी तीन पीढियां ऋणी है। युवा संत संतोष सागर ने कहा कि गुरु सदैव देने का प्रयास करता है। वह सामान्य कीट को गुनगुन करनेवाला भ्रमर बना देता है। गुरु की ज्योति कभी भी मंद नहीं होती।
साहित्यकार डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि गुरु तो परम संतोषी होते हैं, उनका दाय हम किसी भी प्रयास से नहीं चुका सकते। इस अवसर पर स्वामी ने राशि समर्पित करने तथा शुभकामना संदेष प्रेषित करनेवाले शिष्यों का नामोल्लेख किया। स्थानीय विधायक की ओर से उनके सुपुत्र राजेश शर्मा ने शुभकामनाएं प्रकट की तथा गुरुजी से शुभाशीस प्राप्त किया।
रूपचंद सोनी ने गुरुजी के कर्मठ जीवन के अनेक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि इस वय में भी वे त्रिकाल संध्योपासन करते हैं। वे शिक्षक के साथ आध्यात्मिक व्यक्ति भी हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता रामचन्द्र राठी, देवीलाल उपाध्याय, तुलसीराम चौरड़िया तथा गुरुजी की सुपुत्री इन्द्रा राजपुरोहित ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अंत मे गुरुजी ने समारोहपूर्वक अभिनंदन से अभिभूत होकर अपने सभी शिष्यों का आभार व्यक्त किया। नगर के सभी गणमान्य जनों की उपस्थिति रही।
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