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संगीत शिक्षा की पुस्तक "भारतीय संगीत ज्ञान-शास्त्र" का भव्य समारोह में हुआ लोकार्पण


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संगीत शिक्षा की पुस्तक "भारतीय संगीत ज्ञान-शास्त्र" का भव्य समारोह में हुआ लोकार्पण

            
        बीकानेर 25 मई / शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान तथा भगवती संगीत कला केंद्र के तत्वावधान में संगीतज्ञ ज्ञानेश्वर सोनी एवं उनके पुत्र युवा संगीतज्ञ गौरीशंकर सोनी द्वारा संगीत पर लिखी पुस्तक "भारतीय संगीत ज्ञान-शास्त्र" का लोकार्पण नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में बरसते मेह के बीच हुआ। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए संगीत गुरू एवं वरिष्ठ रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण सोनी ने कहा कि इस पुस्तक की संगीत जगत में मांग थी । इसके आ जाने से संगीत के विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिलेगा । यह पुस्तक शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी होने के साथ-साथ संगीत के विद्यार्थियों की जरुरतों की पूर्ति करने वाली पुस्तक है ।


 मुख्य अतिथि संगीतज्ञ डॉ. आभाशंकर ने कहा कि आद्योपांत इस पुस्तक को पढ़ने के बाद दावे के साथ कह सकती हूँ कि इसके लेखक पिता-पुत्र ने बहुत मेहनत के साथ पुस्तक का सृजन किया है जो काबिले तारीफ है । इस पुस्तक में संगीत के पारिभाषिक शब्दों को सरल भाषा में समझाया गया है वहीं इस पुस्तक में विस्तृत रूप से वाद्य यंत्रों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी हुई है। विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष, कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि संगीत शिक्षा की पुस्तक "भारतीय संगीत ज्ञान शास्त्र" संगीत को समझने एवं सीखने के साथ-साथ उच्च स्तरीय परिक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए एक ही स्थान पर संगीत संबंधी संदर्भ सामग्री उपलब्ध कराती है, संगीत की सम्पूर्ण जानकारी देती है। 


        इससे पहले अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष पुष्प अर्पित करते हुए इंद्र भगवान से प्रार्थना की गई कि थोड़े समय हेतु वर्षा रोक दें ताकि विद्युत सप्लाई होने पर कार्यक्रम सुचारू रूप से चल सके । स्वागत उद्बोधन देते हुए प्रो.डॉ. अजय जोशी ने कहा कि पिता-पुत्र ने कठिन मेहनत एवं परिश्रम से इसे सन्दर्भ ग्रन्थ बनाया है यह काबिले तारीफ है । डॉ.जोशी ने कहा कि रागों-तालों एवं लयकारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण और अनछुए पहलुओं की जानकारी इस पुस्तक में उपलब्ध है । वहीं दुनिया भर के विशिष्ट संगीतज्ञों को जानने समझने और उनके बारे में पढ़ने के साथ ही संगीत परीक्षाओं के लिए यह उपयोगी पुस्तक होगी । 



कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि विश्वास नहीं होता कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी होल श्रोताओं से खचा-खच भरा है, लाइट है नहीं गर्मी बहुत है फिर भी आप सभी यहां तन्मयता से उपस्थित हैं यह आपका लेखक और पुस्तक के प्रति अगाध स्नेह दर्शाता है । यह पहला अवसर है कि मोमबत्ती की रोशनी के सहारे कार्यक्रम चला, परन्तु पुस्तक के लोकार्पण के समय कुछ देर हेतु लाइट आ गयी। स्वर्णकार ने कहा इस पुस्तक को संपूर्ण भारतीय संगीत शास्त्र कोष के रूप में देखना और संगीत के पारिभाषिक शब्दों के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाना मील का पत्थर साबित होगा।




    पुस्तक पर पत्रवाचन करते हुए संगीतज्ञ अहमद बशीर सिसोदिया ने कहा कि संगीत गुरु ज्ञानेश्वर और युवा संगीतज्ञ गौरीशंकर को संगीत विरासत में मिला है, जिसे उन्होंने आम आवाम तक पहुंचाने का भरसक प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय संगीत तथा यूरोपीय स्वर-संवाद के साथ पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धति को भी सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है । संगीत विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक अत्यंत लाभदायी रहेगी ।
        कार्यक्रम में शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान ने लेखक पिता-पुत्र का सम्मान शॉल, अपर्णा सम्मानपत्र भेंट कर किया । सम्मान पत्र का वाचन साहित्यकार संजय पुरोहित ने किया । श्री ब्राह्मण स्वर्णकार पेंशनर्स सोसायटी के प्रेमकुमार, प्रेमरतन सोनी, राधाकिशन सोनी, सूर्यप्रकाश, ब्रजरतन सोनी ने माल्यार्पण और शॉल से दोनों लेखकों का सम्मान किया । बागेश्वरी संगीत संस्थान के अहमद बशीर सिसोदिया, अब्दुल शकुर सिसोदिया ने शॉल, मालाएं एवं सम्मान स्मृति भेंट कर सम्मान किया। 



    लेखक ज्ञानेश्वर सोनी-गौरीशंकर सोनी ने अपने उद्बोधन द्वारा संगीत जगत में इस पुस्तक की आवश्यकता को प्रतिपादित किया ।
    कार्यक्रम में गीतकार राजेन्द्र स्वर्णकार, कमल सेन, नितिन तिवाड़ी, वरिष्ठ रंगकर्मी बी एल नवीन, ताराचंद सोनी, गिरिराज पारीक, यशवर्द्धन, टीकमचंद सोनी, शंकरन, हिमानी शर्मा, चैतन्य शर्मा, मनोज सोनी, भगवतीप्रसाद सोनी, राधाकिशन सोनी, आशाराम सोनी, नेमकंवरी देवी, गायिका मंजु सोनी, मंजु मंडोरा, गायिका अरुणा सोनी, मोनिका, त्रिलोकचंद, कंचन देवी, बबीता देवी, प्रीति, जयश्री द्वारा लेखकों का सम्मान किया गया ।
    आंधी, वर्षा से विद्युत सप्लाई बाधित होने के बावजूद ऑडिटोरियम भरा होने से गदगद प्रेमनारायण व्यास ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार माना । 

        
           








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