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कोरोना आज : पॉजिटिव 32
दिनांक 18 अप्रैल 2023
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ऊंटों के निवास क्षेत्र में बसी पतंगों की नगरी के कला-जगत ने दुनिया को दी ऊंट की खाल पर बनी सबसे छोटी पतंग
*कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित होगी दुनिया की ऊंट की खाल से बनी सबसे छोटी पतंग*
*मथेरण व उस्ता कला के भित्ति चित्रों की 100 फोटोग्राफ भी प्रदर्शित की जाएगी*
बीकानेर, 18 अप्रैल।
थार का रेगिस्तान ऊटों का रिहायशी क्षेत्र है और इसी रेगिस्तान में 535 वर्षों से बसा बीकानेर अपने आप में बहुत सी अनूठी और अनुपम चीजें समेटे हुए है। बीकानेर का कला जगत भी ख्यातनाम है। बीकानेर के कला जगत ने दुनिया को अंगुली के नाखून पर ही 2-3 पतंगे समा जाए ऐसी छोटी पतंग दी है। और मजे की बात यह कि ऐसी छोटी पतंग ऊंट की खाल पर बनाई गई है। यहाँ यह उल्लेखित करना आवश्यक प्रतीत होता है कि बीकानेर अपनी स्थापना से ही पतंगों के लिए ख्यातनाम रहा है। बीकानेर में स्थापना दिवस यानी आखातीज के मौके पर आकाश पतंगों से आच्छादित रहता है।
ऊंट की खाल पर बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग बीकानेर स्थापना दिवस पर आयोजित प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जाएगी। इस पतंग का आकार मात्र 1 एम एम है। इस पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड स्वर्ण नक्काशी उस्ता कार्य किया गया है। बीकानेर के 535वें स्थापना दिवस के मौके पर जिला प्रशासन नगर विकास न्यास नगर निगम व देवस्थान के सहयोग से आयोजित प्रदर्शनी में एक नया कार्य मास्टर क्राफ्ट मैन शौकत अली उस्ता पुत्र रहीम बक्स उस्ता जो भारत सरकार द्वारा उस्ता कला में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता है, द्वारा प्रदर्शित करेंगे।
उस्ता कला को आगे बढ़ाने और कुछ नया कर दिखाने के लिए उस्ता ने इस बार एक नया कीर्तिमान तैयार किया है।
प्रदर्शनी के संयोजक अज़ीज़ भुट्टा ने बताया कि ऊंट की खाल पर दुनिया की सबसे छोटी बनी पतंग के दोनों तरफ सुनहरी नक्काशी की गई है। पंतग के एक तरफ २२ केरेट गोल्ड से बीकानेर का नक्शा बनाया है तो दूसरी तरफ उस्ताकला से तैयार स्थापना दिवस लिखा है जो लेंस जरिये ही देखा जा सकता है।
दूसरी पतग 21 X 21 सेंटीमीटर की बनी हुई है जिसके दोनो तरफ उस्ता कला नक्काशी २२ केरेट गोल्ड से तैय्यार की है। जिसके एक तरफ देशनोक की करणीमाता का चित्र व जुनागढ़ किला बनाया गया है यह दोनो चित्र एक तरफ ही है।
जिसमे करणीमाता को बीकानेट पर आशीर्वाद देते हुए दिखाया गया है।
पंतंग के दूसरी तरफ उस्ता कला नम्काशी के साथ
राजस्थान की शान ऊँट को दिखाया गया है। दोनों पतंगों पर ओर (धागा) से कनिया भी लगाया हुआ है।
उस्ता कलाकारी और हुनर की बदौलत ही उन्होंने विश्व में बीकार्नर का डंका बजाया है / बीकार्नर का नाम विश्व में प्रसिद्ध किया। शौकत उस्ता ने इस कला की बारीकियों का ज्ञान मोहम्मद हनीक उस्ता से लिया इनकी यह कला पीढ़ी दर -पीढ़ी चली आ रही है।
शौकत उस्ता बीकानेर की लुप्त होती उस्ता कला को बचाने का निरन्तर कार्य करते आ रहे है तथा समय-समय पर सरकारी व गैर सरकारी प्रशिक्षण देने का कार्य की भी करते है।
शौकत ने कहा कि बीकानेर के युवा जहां प्रतिभा से भरपूर है वही के उन्हें अपनी कला दिखाई व अपने कौशल को चमकाई के लिए एक मंच प्रदान करने की आवश्यकता है।
संयोजक के अनुसार कला प्रदर्शनी मथेरन कला, उस्ता कला व फोटोग्राफी भी इन दोनों कलाओं से संबंधित अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल प्राप्त अज़ीज़ भुट्टा द्वारा लिए गए 100 भित्ति चित्रों के फोटोग्राफ्स भी प्रदर्शित किए जाएंगे। इस तरह के फोटो पहली बार किसी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
प्रदर्शनी के उप संयोजक डॉक्टर मोहम्मद फारुख चौहान ने बताया कि प्रदर्शनी का उद्घाटन 19 अप्रैल की सवेरे 10:00 बजे होगा। प्रदर्शनी रोजाना सवेरे 10 बजे से सायं 8 बजे तक आम दर्शकों के लिए निशुल्क खुली रहेगी।
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