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‘सब अनकहा कह गया“ में मानवीय रिश्तों की महक है

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*खबरों में बीकानेर*

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‘सब अनकहा कह गया“ में मानवीय रिश्तों की महक है
कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार के काव्य संग्रह ‘सब अनकहा कह गया’ पर चर्चा
    ‘सब अनकहा कह गया“ में मानवीय रिश्तों की महक है

बीकानेर, 20 नवम्बर । अजित फाउण्डेषन द्वारा कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार के काव्य संग्रह ‘सब अनकहा कह गया’ पर चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने पुस्तक के विभिन्न पक्षों की गहन मीमांसा की।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि-गीतकार एवं उत्तर पष्चिम रेलवे, बीकानेर सेवानिवृत एडीआरएम ने निर्मल कुमार शर्मा ने कहा कि पुस्तक में कवि की विनम्रता, प्रकृति एवं स्वजनों के प्रति कृतज्ञता, ईष्वर के प्रति समपर्ण इन्हें संपूर्ण कवि बनाता है। 

उन्होंने कहा कि पुस्तक में जीवन के प्रत्येक पहलू को काव्यात्मक स्वरूप प्रदान किया गया है। उन्होने कहा कि पुस्तक की रचनाएं प्रेरणादायी, आत्मचिन्तन, स्वविष्लेषण को प्रेरित करती है।


मुख्य समीक्षक कवि-कथाकार श्रीमती मनीषा आर्य सोनी ने पुस्तक पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि काव्य संग्रह में कुल 58 कविताएं मानव जीवन से गहरी जुड़ी हुई है। उन्होने कहा कि पुस्तक की कविताओं में देषप्रेम, सामाजिक चिन्तन, स्त्रीविमर्ष, व्यंग्य, मानवीय प्रेम विषिष्ट रूप से प्रकट हुआ है। उन्होंने कहा कि कविताओं में रिष्तों की महक तथा खुरदरी सच्चाई भी मिलती है।  


पुस्तक के रचयिता कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपने रचनाकर्म को साझा करते हुए कहा कि मैं षब्दों की पूजा करता हूं। उन्होंने कहा कि पाठकों की क्रिया प्रतिक्रिया उन्हें मौलिक रचनाकर्म के लिए प्रेरित करते है। उन्होंने कहा कि मेरे भीतर हमेषा नया सीखने तथा रचने की प्रक्रिया चलती रहती है। इस अवसर पर स्वर्णकार ने अपनी चुनिन्दा रचनाओं का पाठ किया।


कार्यक्रम में लेखक अषफाक कादरी ने लेखक परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक की रचनाओं में कवि के व्यक्तित्व की खुषबू है जो सीधा मन में उतर जाती है। कार्यक्रम में कवि कमल रंगा, प्रो. डॉ. नरसिंह बिनानी, हास्यकवि बाबूलाल छंगाणी, षिक्षाविद् मोहनलाल जांगिड़, वरिष्ठ कवि जुगलकिषोर पुरोहित, प्रो. गौरीषंकर प्रजापत, इंजीनियर हनुमंत गौड़, समाजसेवी प्रेमरतन मंडोरा, प्रेमप्रकाष सोनी, श्रीमती झंवरा स्वर्णकार, आत्माराम भाटी, गोविन्द जोषी, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन, कैलाष टाक, बृजरतन सोनार, गायक पवन प्यारे, लक्ष्मीनारायण बाड़मेरा, जुगराज सोनी, विपलव व्यास, गिरिराज पारीक ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में व्यंग्यकार-संपादक डॉ. अजय जोषी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन संस्थान के समन्वयक संजय श्रीमाली ने किया।






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