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🆔देखें वीडियो : पायनियर एकेडमी के बच्चों ने अपने लक्ष्य को अग्रदूत बन हासिल किया
थ्री-एस ने निराशा को आशा में बदला
सौम्या, शुभम और संतराम की सफलता बनी विद्यार्थियों की प्रेरणा
औरों से हटकर सबसे मिलकर🦋
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देखें वीडियो : पायनियर एकेडमी के बच्चों ने अपने लक्ष्य को अग्रदूत बन हासिल किया
थ्री-एस ने निराशा को आशा में बदला
सौम्या, शुभम और संतराम की सफलता बनी विद्यार्थियों की प्रेरणा
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बीकानेर। पायनियर एकेडमी के बच्चों ने अपने लक्ष्य को अग्रदूत के रूप में हासिल कर पायनियर नाम सार्थक किया है। अग्रदूत इसलिए कि ये अपनी ही बनाई राह पर चले, और इनकी सफलता अन्य अनेक बच्चों की प्रेरणा सिद्ध होगी। इन सफलतम बच्चों की दृढ़ इच्छा शक्ति को पंख देते हुए फिजिक्स गुरु गिरीश शर्मा सर सहित पायनियर संस्थान से जुड़ी हर शख्सियत ने इन बच्चों की मंजिल तक पहुंचने की राह आसान बना दी। जी हां, हम बात कर रहे हैं नीट की परीक्षा में सफल संस्थान के तीन ऐसे बच्चों की जो अन्य विद्यार्थियों के लिये मिसाल बने हैं।
संतराम लेखा-जोखा सीखना छोड़ चिकित्सा विज्ञान की बारीकियों को समझने लगे
कक्षा 11 में कॉमर्स विषय से उत्तीर्ण होकर संतराम गवारिया ने दृढ़ विश्वास के साथ डॉक्टर कुछ बनने के जूनून के साथ लीक से हटकर चलने की ठानी। नतीजतन संतराम ने अथक मेहनत और लगन से पढ़ते हुए 638 नंबर लाकर अपना स्थान मेडिकल कॉलेज में सुनिश्चित किया और मिसाल कायम की । संतराम बताते हैं कि वो चिकित्सक बनना चाहते थे, लेकिन परिवार की परिस्थितियां उसके साथ नहीं थी। पिता रानी बाजार में छोटी सी परचून की दुकान चलाते है। ऐसे में किसी संस्थान में जाकर पढ़ाई करने की बजाय कॉमर्स विषय का चयन कर 11 वीं पास की। किन्तु पिता के एक मित्र की प्रेरणा से पुन:विज्ञान वर्ग की ओर आकर्षित होकर पायनियर एकेडमी में प्रवेश लिया और यहां के शिक्षकों की बदौलत इस साल नीट की परीक्षा को उत्तीर्ण कर सपने को साकार किया। वे अपनी सफलता का श्रेय पायनियर संस्थान को और विशेषकर फिजिक्स गुरु गिरीश शर्मा सर को देते हैं।
शुभम वेटरनरी से मेडिकल की ओर चल पड़े
इसी तरह शुभम चौधरी ने वेटरनरी लाइन को अंतिम वर्ष में छोड़ कर नीट का रास्ता पकड़ा और परीक्षा दी। अभूतपूर्व सफलता हासिल की। 720 अंकों में से 631 लाने वाले शुभम बताते है कि 2017 में वेटरनरी में चयन के बाद भी उनके मन में चिकित्सक बनने की ललक थी। तो 2018 में पहला प्रयास किया। किन्तु सफल नहीं हुआ, फिर कोरोना के कारण ज्यादा कुछ कर नहीं पाया। डॉक्टर किशन सुथार सर से लगातार संपर्क में रहे। पिछले साल पायनियर संस्थान अस्तित्व में आया तो अपनी इच्छा जाहिर की। पायोनियर के निदेशक गिरीश शर्मा सर ने सुसुप्त पड़े आत्मबल को जागृत किया। और फिर नियमित टेस्ट सीरीज और लगातार मार्गदर्शन के साथ पायनियर में अध्ययन कर मुकाम हासिल किया।
सौम्या 11वीं में हताशा को धता बता नीट में रही अव्वल
मेधावी छात्रा 11वीं क्लास में सफलता की आस छोड़ चुकी थी। लेकिन गिरीश सर के दूर दृष्टि और अथक मेहनत के प्रयास से नीट में सौम्या आई पहले पायदान पर।
सौम्या को पायनियर में क्लास रूम प्रोग्राम से ऐसा मंत्र मिला कि वो अपनी लगन से आज नीट की सफल लड़कियों के वर्ग में अव्वल नंबर हैै। इसके लिये सौम्या पायनियर स्टाफ को श्रेय देती है। 720 में से 680 अंक प्राप्त करने वाली सौम्या का कहना है कि गिरीश सर, एच के सुथार सर व शेखावत सर ने जिस तरह प्रेरित किया। उसी का नतीजा है कि आज वह अपने चिकित्सक बनने के सपने को साकार कर पाई।
पीछे मूडकर न देखने का मूल मंत्र
पायनियर के तीन स्तंभों में से एक गिरीश शर्मा बताते है कि वे यहां आने वाले विद्यार्थियों को एक ही मंत्र देते है कि जीवन में जो हो गया, उसे पीछे मूडकर देखने की जरूरत नहीं। आगे बढ़ें। ईमानदार रहें तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। शर्मा ने बताया कि 2021 में लगाए इस पौधे की महक कुछ ही समय में प्रदेश में फैलने लगी है। दो वर्ष से भी कम समय के अपने शैशवकाल में 18 बच्चे नीट में चयनित हो चुके है। वहीं आईआईटी में फाउंडेशन क्लास से भी आने वाले समय में अच्छा रिजल्ट आएगा। शर्मा ने बताया कि संस्थान में श्रेष्ठ अनुभवी विषय के मर्मज्ञ मेंटर्स टीम बच्चों को मार्गदर्शन देती है जहां रेगुलर क्लासरूम सुनियोजित टेस्ट सीरीज और प्रॉपर प्रॉब्लम काउंटर के साथ आधुनिक डिजिटल बोर्ड के जरिये अध्यापन का कार्य होता है। पैनल का पूरा परिसर पूर्णत वातानुकूलित है और हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है। जिसके जरिये संस्था हर एक विद्यार्थी को सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है।
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