Type Here to Get Search Results !

भाव दूषित तो श्रेष्ठ कर्म भी पतन का कारण - महंत क्षमाराम जी महाराज


खबरों में बीकानेर






🆔












औरों से हटकर सबसे मिलकर🦋





✍️

भाव दूषित  तो श्रेष्ठ कर्म भी पतन का कारण - महंत क्षमाराम जी महाराज
बीकानेर। मनुष्य का अभिमान पतन ही पतन करता है। क्रिया चाहे कितनी ऊंची हो, किन्तु भाव यदि दूषित  हैं तो श्रेष्ठ कर्म भी पतन करने का कारण बन जाता है। दक्ष प्रजापति ने बहुत बड़ा यज्ञ किया, परन्तु भाव उसका भगवान शंकर का अपमान करने का था। इसलिए दक्ष का पतन हुआ। श्री श्री 1008 सींथल पीठाधीश्वर महंत क्षमाराम जी महाराज ने यह बात शुक्रवार को गोपेश्वर- भूतेश्वर महादेव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करते हुए कही। महंत क्षमारामजी ने बताया कि दक्ष के इस कृत्य से वीरभद्र ने उसका सर उतार कर यज्ञ की अग्नि में डाल दिया। भगवान शंकर ने भरी सभा में दक्ष का उत्थान इसलिए नहीं किया कि उसका अभिमान  बढ़े नहीं और शिष्टाचार में भी इसलिए कमी नहीं आई कि शंकर भगवान ने दक्ष में रहने वाले आत्म स्वरूप परमात्मा का अभिवादन किया।
महंत क्षमाराम जी महाराज ने श्रीमद् भागवत का वाचन करने के साथ जीवन में सदाचार और गुणों का समावेश हो, इसे लेकर भी श्रद्धालुओं को महत्वपूर्ण जीवन सूत्र दिए।
सामूहिक पूजा में दे रहे आहूति
श्रीमद्भागवत कथा समिति की ओर से कथा स्थल पर प्रतिदिन सुबह सामूहिक पूजन आयोजित किया जा रहा है। पूजन व्यवस्था प्रभारी सुशील अग्रवाल ने बताया कि  देश में पाप के नाश और धर्म की स्थापना, राज्य में खुशहाली और तरक्की,  शहर में प्रेम और सौहार्द तथा घर- परिवार में सुख- शांति के लिए पूजा में यजमान सपत्नीक आहूति देकर भगवान का आह्वान किया जा रहा है।






Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies