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बीकानेर में बनेंगे तीन मॉडल टीकाकरण केंद्र


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🆔बीकानेर में बनेंगे तीन मॉडल टीकाकरण केंद्र

शहरी क्षेत्र में बूस्ट होगा बच्चों का टीकाकरण













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बीकानेर में बनेंगे तीन मॉडल टीकाकरण केंद्र

शहरी क्षेत्र में बूस्ट होगा बच्चों का टीकाकरण

बीकानेर, 14 सितंबर। बीकानेर शहरी क्षेत्र में बच्चों के नियमित टीकाकरण को और सुदृढ़ व सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से तीन मॉडल टीकाकरण केंद्रों की स्थापना की जाएगी। इन टीकाकरण केंद्रों पर बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं के साथ तय मानकों के अनुसार टीकाकरण प्रक्रिया व व्यवस्थाएं उपलब्ध रहेंगी। 

यहां प्रतिदिन बच्चों को टीबी, हेपेटाइटिस, टिटनेस, पोलियो, गलघोटू, काली खासी, डिप्थीरिया आदि 12 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाएंगे। राज्य के समस्त संभाग मुख्यालयों पर यह मॉडल टीकाकरण केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। बीकानेर जिले में पीबीएम अस्पताल, एसडीएम जिला अस्पताल तथा सेटेलाइट गंगाशहर में यह मॉडल टीकाकरण केंद्र विकसित किए जाएंगे । 


बुधवार को जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश कुमार गुप्ता तथा शहरी कार्यक्रम प्रबंधक नेहा शेखावत ने तीनों प्रस्तावित टीकाकरण केंद्रों का निरीक्षण कर पूर्व मूल्यांकन किया। 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि जिले में टीकाकरण की स्थिति 86.72 प्रतिशत उप्लब्धि के साथ अच्छी है पर मॉडल टीकाकरण केंद्रों की सहायता से इसे और बेहतर बनाया जा सकेगा। विशेषकर शहरी क्षेत्र में टीकाकरण के आंकड़ों में स्पष्ट सुधार परिलक्षित होने की उम्मीद है जो आदिनांक 55% से भी नीचे है। 


जिले में वर्ष भर में कुल 60,480 बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य है जिसमें से माह अगस्त तक 25,200 को टीके लग जाने थे जिसके विरुद्ध 21,854 बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। गत वर्ष से इस आंकड़े में 3.85 प्रतिशत का सुधार हुआ है। मॉडल टीकाकरण केंद्रों के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स व खंड स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर उनकी बैठक आयोजित की जाएंगी। जल्द ही बीकानेर शहर को इसका लाभ मिलने लगेगा।

*ये सुविधाएं होंगी मॉडल टीकाकरण केंद्रों पर*
डॉ गुप्ता ने बताया कि इन तीनों मॉडल टीकाकरण केंद्रो पर 3 कक्षों का प्रावधान होगा। पहला कक्ष प्रतीक्षा कक्ष, दूसरा टीकाकरण का तथा तीसरा ऑब्जरवेशन के लिए होगा। यहां स्तनपान के लिए अमृत कक्ष, आवश्यक साजो सामान, फर्नीचर, शौचालय आदि की व्यवस्था रहेगी। 

 विशेष रूप से स्टाफ भी लगाया जाएगा। इन्हें विकसित करने के लिए प्रति केंद्र 10 लाख रुपए का बजट भी सरकार द्वारा आवंटित होगा।







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