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संतो का आभूषण क्षमा- महंत क्षमाराम जी महाराज


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संतो का आभूषण क्षमा- महंत क्षमाराम जी महाराज



संतो का आभूषण क्षमा- महंत क्षमाराम जी महाराज

हमारी संस्कृति मर्यादाओं से- महंत क्षमारामजी
बीकानेर। कंश का उद्धार हो गया, कंश के शरीर से एक दिव्य ज्योति निकली। क्योंकि वह हर वक्त भगवान का ध्यान करता था, उसने भगवान की छवि अपने मन में बनाई थी। इसलिए उसके शरीर से दिव्य ज्योति निकली और भगवान में मिल गई।  

गोपेश्वर बस्ती स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत पाक्षिक ज्ञान यज्ञ कथा का वाचन करते हुए कथा वाचक सींथल पीठाधीश्वर महंत क्षमाराम जी महाराज ने बुधवार को कंश के वध और उद्धव जी से भगवान श्री कृष्ण के संवाद तथा उद्धव जी को गोकुल भेजने  सहित अन्य प्रसंगों की व्याख्या की। कथा के बारहवें दिन महंत जी ने नन्दबाबा, यशोदा माता से उद्धव जी के मिलने, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का संदेश देने, गोपियों को अपना संदेश देने के प्रसंग सुनाए। 

महंत जी ने बताया कि गोकुल में नन्दबाबा ने उद्धव जी को भाव विभोर होकर बताया कि जिसमें दस हजार हाथियों का बल था, वह श्रीकृष्ण के हाथ मारा गया। तीन ताल के धनुष को तोड़ दिया, गोरधन पर्वत को सात दिन तक एक हाथ से धारण कर लिया, हमारी ब्रज में कई बार रक्षा की, इन्द्र ने बरसात की उससे हमारी रक्षा की, यह सब नन्दबाबा उद्धव जी को भाव में डूबे हुए बता रहे थे। कहते हैं यशोदा मैया के आंखों से उस वक्त अश्रुधरा बह रही थी और शरीर से दूध झर रहा था। महंत जी ने कहा कि उद्धव ने ऐसा दृश्य आज तक नहीं देखा था।


महंत जी ने कहा कि यह दुनिया मतलब की है सज्जनों, गुरु से ज्ञान प्राप्त होने के बाद शिष्य टिकता नहीं, पंछी जिस डाल पर गुच्छ नहीं होते वहां बैठते नहीं, भंवरा जब तक फूल खिला होता है, उससे रस चूसता रहता है, जैसे ही फूल से रस खत्म होता है, वह उड़ जाता है , उस पर रहता नहीं। 


स्त्री के चरित्र की विशेषता का वर्णन करते हुए महंत जी ने कहा कि कोई स्त्री किसी पुरुष से सीधी बात नहीं करती थी, सासु से तो सीधी बात करती लेकिन ससुर जी से कभी सीधी बात नहीं करती थी। ससुराल में किसी से भी जो उम्र में, पद में बड़ा पुरुष हो उससे मर्यादा में रहकर, धीरे स्वर में, घूंघट निकालकर बात कहनी चाहिए। 

 ध्यान रहे यह मर्यादाएं है। हमारी संस्कृति मर्यादाओं से है, सज्जनों, स्त्री अपने पीहर में वह सब कुछ कर सकती है। ध्यान रखो,  लाज माताओं, बहनों का आभूषण है। महाराज जी ने कहा कि संतो का आभूषण क्षमा होता है। सज्जनों, महिलाओं का घूंघट रखना बहुत बड़ी मर्यादा है। यह चीजें ग्रहण करने की होती है।


केन्द्रीय मंत्री पहुंचे कथा स्थल, लिया आशीर्वाद
कथा आयोजन समिति के गोपाल अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बुधवार को कथा स्थल पहुंचकर व्यासपीठ पर विराजे सींथल पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 महंत क्षमाराम जी महाराज के श्रीमुख से कथा श्रवण का लाभ लिया। साथ ही महाराज साहब से आशीर्वाद लेकर भागवत कथा को नमन किया। इस अवसर पर उनके साथ शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, भाजपा नेता गुमानसिंह राजपुरोहित, मोहन सुराणा साथ थे। 






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