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श्रद्धा भावों से मनाया गया श्री जयाचार्य का महाप्रयाण दिवस
गंगाशहर। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री शांतिकुमार जी एवं सुशिष्य मुनिश्री जितेंद्र कुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य श्री जयाचार्य का निर्वाण दिवस मनाया गया। मुनि श्री शांतिकुमार जी ने उनके जीवन वृत्त का वर्णन करते हुए उनके गुणों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी। मुख्य उद्बोधन में मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी ने कहा कि श्रीमज्जयाचार्य तेरापंथ के विरल आचार्य हुए। उन्होंने अपनी मेधा से जैन आगमों का तरलस्पर्शी अध्ययन कर उन्हें मारवाड़ी भाषा में भी अनुवादित किया। वें एक प्रज्ञापुरुष थे। जयाचार्य एक विधि वेत्ता आचार्य थे।
उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ की मर्यादाओं को नया रूप दिया। उनके द्वारा प्रतिपादित मर्यादाएं आज तेरापंथ की पहचान बनी हुई है। पर्युषण महापर्व के संदर्भ में प्रेरणा देते हुए मुनिश्री ने आगे कहा- पर्युषण का अष्टांहिक महापर्व हमारे समक्ष है। पर्युषण काल में अधिक से अधिक धर्माराधना का लक्ष्य रहना चाहिए। पर्युषण काल में जितना संभव हो रात्रिभोजन परिहार, प्रतिदिन व्याख्यान श्रवण, तपस्या, प्रतिक्रमण आदि का क्रम निरंतर चलता रहे।
कार्यक्रम में मुनि सुधांशु कुमार जी, मुनि अनुशासन कुमार जी ने भी विचारों को अभिव्यक्ति दी।
पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व में आयोजित होंगे विविध कार्यक्रम
बुधवार से पर्युषण महापर्व का शुभारंभ हो रहा है। इस दौरान शहर के तेरापंथ भवन में मुनिश्री के सान्निध्य में एवं शांति निकेतन में साध्वी श्री कीर्तिलता जी के सान्निध्य में विविध धार्मिक कार्यक्रम संचालित होंगे।
तेरापंथ भवन में प्रतिदिन प्रात: 09 बजे से मुख्य प्रवचन, दोपहर सवा दो बजे से आगम स्वाध्याय, सायं सूर्यास्त के समय सामूहिक प्रतिक्रमण का क्रम रहेगा। वहीं रात्रिकालीन कार्यक्रम शांति निकेतन में आयोजित होंगे। पर्युषण काल के दौरान अखंड जाप का क्रम भी दोनों स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं द्वारा किया जा सकेगा।
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