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पीबीएम सुधार का फिर प्रयास
- ✒️हेम शर्मा
पीबीएम अस्पताल में संसाधन है। एस पी मेडिकल कालेज से संबद्ध अस्पताल होने के फायदे भी है जो नहीं है वह बेहतर प्रबंध। कमी है प्रशासनिक नियंत्रण और राजनीतिक हस्तक्षेप होना। बाधा है मेडिकल क्षेत्र से जुड़ा स्ट्रांग कॉकस। और इस कॉकस में नेताओं के चहेतो का समर्थन। शायद संभागीय आयुक्त ने व्यवस्था की इस रग को भांप लिया है। अब अगला कदम सुधार का हो सकता है। यह बात संभागीय आयुक्त डा नीरज के पवन ने क्यों कही है कि पीबीएम आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को अस्पताल में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था और वातावरण मिले। कहने का कोई तात्पर्य है। व्यवस्था कहने से नहीं सुधरती। कहने वाले को कई कड़वे घूंट पीने पड़ते है और कड़े कदम उठाने पड़ते हैं। खुद को झोंकना पड़ता है और सहना भी होता है। इसके पीछे प्रशासन की अस्पताल के सुधार की पूरी स्ट्रेटेजी काम कर रही है। पी बी एम में वर्षों से काम कर रहे कॉकस खत्म करने के लिए अस्पताल के नियमित कार्मिकों के अलावा सभी संविदा, निविदा और अन्य तरीकों से नियोजित कार्मिकों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना तय किया है। इसमें लपके, फटके, चोर उचक्के, बीकानेर से मरीजों को एंबुलेंस से जयपुर, दिल्ली की अस्पतालों में ले जाने वाले रिकार्ड में आ जाएंगे। पीबीएम के भामाशाहों की हर माह बैठक से बेहतर प्रबंधन में सहयोग मिलेगा।
ये होंगे सुधार पीबीएम के वार्ड में प्रवेश पास और मरीज घर बैठे रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था का प्रस्ताव है। चिकित्सकों के ड्यूटी चार्ट, मेडिकल चेकअप और जांच की जानकारी एप से मिले। निविदा या वित्तीय मामलों की फाइलो की वित्त नियंत्रक से जांच होती है तो व्यवस्था पर कड़ा अंकुश है। दवाईयों निविदाएं में समयबद्धता नहीं रखने के जिम्मेदार के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की चेतावनी है। स्वास्थ्य जांच मशीन को दुरूस्त रखने के कड़े निर्देश हैं। एक्सरे, सोनोग्राफी सहित हरेक खराब मशीन को तुरंत ठीक करवाने के निर्देश है। ऐसा प्रयास की अब हर वार्ड में कूलर और पंखे लगै। अस्पताल के सभी साधनों, संसाधनों और संपदा का लेखा-जोखा यानि प्रभावी निगरानी के लिए उपाधीक्षक डाॅ. गौरी शंकर को संपदा अधिकारी लगाया है। अब यह नहीं हो सकेगा की सामग्री तो अस्पताल की इलाज प्राइवेट।
अस्पताल के संसाधनों का निजी उपयोग पर बंदिशे तय है। पीबीएम अस्पताल के एक कैंटीन के ठेके के मामले में कड़ी कार्रवाई की गई है।
आरएमआरएस की आय वृद्धि के लिए धूड़ीबाई धर्मशाला परिसर में स्थित दुकानों का किराया बढ़ाने, अस्पताल परिसर में विभिन्न स्थानों पर दुकानें बनाने, नए कैंटीन खोलने, अस्पताल परिसर से बाहर एवं अंदर पार्किंग स्थल चिन्हित करने, वीरा एवं माहेश्वरी धर्मशाला के कमरों एवं अन्य सेवाओं की दरें बढ़ाने तथा बढ़ी राशि आरएमआरएस को उपलब्ध करवाने पर विचार किया गया है।आरएमआरएस की आगामी बैठकों में संबंधित विभागों के कार्यालयाध्यक्षों को उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
यह सब निर्णय जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल , कालेज प्राचार्य डा सलीम, पीबीएम अधीक्षक, अस्पताल के विभागाध्यक्ष तथा अस्पताल के प्रभारी अधिकारियों की उपस्थिति में लिए गए हैं। अब इन पर काम होना है तभी सुधार होगा अन्यथा तो वही ढाक के तीन पात। पीबीएम अस्पताल में सुधार बड़ी चुनौती है। कई खिलाड़ी हार कर चुप बैठ गए है। इस बार यह सच है कि खिलाड़ी भी बड़ा धुरंधर है। जीत चुनौती की या खिलाड़ी की। इंतजार कीजिए और सहयोग दीजिए। परिणाम आएगा।
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