खबरों में बीकानेर
औरों से हटकर सबसे मिलकर
👇
🙏
✍️
देखें वीडियो : लाल मंडली का नवाचार, चालिहा महोत्सव में आनंद अपार
40 दिन के कठोर तप और व्रत का चालिहा महोत्सव
- मोहन थानवी
कोरोना काल के बीते 2 वर्षों के बाद इस वर्ष बीकानेर में 40 दिन के कठोर तप और व्रत का चालिहा महोत्सव नवाचारों के साथ मनाया जा रहा है। सिंधी समाज ने अपनी पारंपरिक गतिविधियों के साथ चालिया महोत्सव का शुभारंभ 16 जुलाई को कोविड 19 की तय गाइडलाइन पालना के साथ किया। रथ खाना पवनपुरी और धोबी तलाई स्थित झूलेलाल जी के मंदिरों में विभिन्न अनुष्ठान शुरू हुए। और सिलसिला जारी है।
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने 40 दिन तक व्रत के तहत एक समय भोजन तथा नंगे पांव रहने सहित सभी तय नियमों का पालन करने का व्रत (संकल्प) लिया है।
रथखाना में अध्यक्ष हीरालाल रिझवानी, रमेश आहूजा तथा धोबीतलाई में भारतीय सिन्धु सभा महानगर एवं सहयोगी संस्थाओं के पदाधिकारियों किशन सदारंगानी, भारती ग्वालानी, श्याम आहूजा, कमलेश सत्यानी आदि के नेतृत्व में 16 जुलाई से सिंधी समाज द्वारा परंपरा के अनुसार 40 दिनों तक चलने वाले चालिहा महोत्सव को व्रत, नियमों और धार्मिक विधि से मनाया जा रहा है।
अमर लाल मंदिर रथ खाना में लाल मंडली ने नवाचार करते हुए प्रत्येक रविवार शुक्रवार और चंद्र दर्शन के दिन संगत के संग मिलकर अमरलाल जी को रिझाने के लिए भक्ति संगीत धारा का आयोजन निरंतर करने का संकल्प लिया है। इसी संकल्प के तहत बीते शुक्रवार और बीती शाम रविवार को संगत ने झूलेलाल जी के भजनों पर झूम कर चालिया महोत्सव में चार चांद लगा दिए। इसी प्रकार पवनपुरी में सावन के सोमवार पर सामूहिक रूप से अभिषेक की परंपरा की नींव डाली गई है। धोबीतलाई में निरंतर नवाचार किए जाते हैं। इस बार भी वहां संगत ने बच्चों और किशोरों को महोत्सव की गतिविधियों में सक्रिय रूप से जोड़ने का नवाचार किया है।
परम्परा : 40 दिन के कठोर तप और व्रत का चालिहा महोत्सव
बीते 75 वर्ष से भी अधिक समय से बीकानेर में सिंधी समाज ने अपने आपको स्थापित करने के साथ साथ अपनी संस्कृति के संरक्षण का कार्य भी बखूबी किया और यहाँ परम्पराएं भी कायम की हैं। ऐसी ही परम्परा है 40 दिन का कठोर तप और व्रत। अमरलाल मंदिर ट्रस्ट रथखाना से आगाज करते हुए समाज आज पवनपुरी एवं संत कंवरराम सिंधी समाज ट्रस्ट धोबीतलाई के मंदिरों में भी अनेकानेक अनुष्ठान संपन्न करता है। इससे इतर मुक्ता प्रसाद नगर, लालगढ़, वल्लभ गार्डन आदि क्षेत्रों में भी समाज के आयोजन होते रहते हैं। ऐसे आयोजनों में चालिहा महोत्सव प्रमुख रूप से शामिलहै। इसके तहत प्रतिदिन आरती अरदास और भजन कीर्तन किए जाते हैं। समाज के प्रेरणा पुरूष तेजूमल सदारंगानी, आत्माराम आहूजा, टीकमदास आदि के मार्गदर्शन में बीकानेर में आरंभ हुई इस परम्परा को हीरालाल रीझवानी के नेतृत्व में आज की युवा पीढ़ी आगे बढ़ा रही है। हालांकि कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए बीते वर्ष सजे धजे बहराणा साहब के नगर भ्रमण, कलशयात्रा और पब्लिक पार्क तथा धोबीतलाई में जल में ज्योति विसर्जन अनुष्ठान की परंपरा को महज सांकेतिक स्वरूप में ही निर्वहन किया गया था। इस बार 16 जुलाई से चालिहा महोत्सव के तहत विभिन्न गतिविधियों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए किया जा रहा है। इन आयोजनों के मूल में है कि सभी समाजजन एकजुट हो भागीदारी निभाते रहें। इसी के अनुसरण में श्रद्धालुओं ने व्रतादि की परंपरा का निर्वाह करने का संकल्प दोहराया है।
मंदिरों में आरती आदि में बड़े छोटे सभी का प्रतिनिधित्व रहता है। पूर्णाहुति पर व्रतियों द्वारा सामूहिक रूप से भंडारे में पारणा किया जाएगा।
भजन
पल्लव और प्रसाद
0 Comments
write views