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राजस्थान यह किसान बना सालभर आम की पैदावार का ईजादकर्ता लोग बारहों महीने खा सकेंगे ताजा आम

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राजस्थान यह किसान बना सालभर आम की पैदावार का ईजादकर्ता

लोग बारहों महीने खा सकेंगे ताजा आम

अब पूरे साल लीजिए आम का स्वाद, किसान ने आम की नई किस्म की ईजाद अक्सर आम का सीजन ग्रीष्म ऋतु में आता है, लेकिन अब आम की ऐसी किस्म बाजार में उपलब्ध है, जिसमें बारहों महीने फल आता है। खास बात यह है कि आम की यह किस्म आम के फल में होने वाली ज्यादातर प्रमुख बीमारियों और आमतौर पर होने वाली गड़बड़ियों से मुक्त है।
 
दरअसल, राजस्थान के कोटा निवासी किसान श्रीकृष्ण सुमन ने आम की एक ऐसी नई किस्म विकसित की है, जिसमें नियमित तौर पर पूरे साल ‘सदाबहार’ नाम का आम पैदा होता है। 
 
आम की खासियत
 
>इसका फल स्वाद में ज्यादा मीठा, लंगड़ा आम जैसा होता है।
>नाटा पेड़ होने के चलते किचन गार्डन में लगाने के लिए उपयुक्त है।
>इसका पेड़ काफी घना होता है और इसे कुछ साल तक गमले में भी लगाया जा सकता है।
>आम का गूदा गहरे नारंगी रंग का और स्वाद में मीठा होता है। 
>इसके गूदे में बहुत कम फाइबर होता है जो इसे अन्य किस्मों से अलग करते है। 
>पोषक तत्वों से भरपूर आम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
 
कैसे बनाई आम की नई किस्म

आम की इस नई किस्म का विकास करने वाले 55 साल के किसान श्रीकृष्ण ने कक्षा दो तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था और अपना पारिवारिक पेशा माली का काम शुरू कर दिया था। उनकी दिलचस्पी फूलों और फलों के बागान के प्रबंधन करने में थी, जबकि उनका परिवार सिर्फ गेहूं और धान की खेती करता था। उन्होंने यह जान लिया था कि गेहूं और धान की अच्छी फसल लेने के लिए कुछ बाहरी तत्वों जैसे बारिश, कटों व पशुओं के हमले से रोकथाम और इसी तरह की चीजों पर निर्भर रहना होगा और इससे सीमित लाभ ही मिलेगा।

उन्होंने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए फूलों की खेती शुरू की। सबसे पहले उन्होंने विभिन्न किस्म के गुलाबों की खेती की और उन्हें बाजार में बेचा। इसके साथ ही उन्होंने आम के पेड़ लगाना भी शुरू किया।
 
किस्म को विकसित करने में करीब 15 साल का लगा समय

साल 2000 में उन्होंने अपने बागान में आम के एक ऐसे पेड़ को देखा जिसके बढ़ने की दर बहुत तेज थी, जिसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की थी। उन्होंने देखा कि इस पेड़ में पूरे साल बौर आते हैं। यह देखने के बाद उन्होंने आम के पेड़ की पांच कलमें तैयार की। इस किस्म को विकसित करने में उन्हें करीब 15 साल का समय लगा और इस बीच उन्होंने कलम से बने इन पौधों का संरक्षण और विकास किया। उन्होंने पाया कि कलम लगाने के बाद पेड़ में दूसरे ही साल से फल लगने शुरू हो गए।
 
पंजीकरण कराने की चल रही प्रक्रिया

इस नई किस्म को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) इंडिया ने भी मान्यता दी। एनआईएफ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान है। इसके अलावा राजस्थान के जयपुर के जोबनर स्थित एसकेएन एग्रीकल्चर्ल यूनिवर्सिटी ने इसकी फील्ड टेस्टिंग भी की। अब इस किस्म का पौधे की किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम तथा आईसीएआर- नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनवीपीजीआर) नई दिल्ली के तहत पंजीकरण कराने की प्रक्रिया चल रही है। 
 
श्रीकृष्ण सुमन को मिल चुके हैं कई पुरस्कार

एनआईएफ ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन में इस ‘सदाबहार’ आम की किस्म का पौधा कराने में भी सहायता की है। इस सदाबहार किस्म के आम का विकास करने के लिए श्रीकृष्ण सुमन को एनआईएफ का नौवां राष्ट्रीय तृणमूल नवप्रवर्तन एवं विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार (नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन एंड ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड) दिया गया है और इसे कई अन्य मंचों पर भी मान्यता दी गई है। अलग-अलग चैनलों के माध्यमों से एनआईएफ किसानों, किसान नेटवर्कों, सरकारी संगठनों, राज्यों के कृषि विभागों और स्वयंसेवी संगठनों तक आम की इस नई किस्म के बारे में जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।
 
सदाबहार आम के पौधों के 8000 से ज्यादा ऑर्डर मिले

श्रीकृष्ण सुमन को 2017 से 2020 तक देश भर से और अन्य देशों से भी सदाबहार आम के पौधों के 8000 से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं। वह 2018 से 2020 तक आंध्र प्रदेश, गोवा, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और चंडीगढ़ को 6000 से ज्यादा पौधों की आपूर्ति कर चुके हैं। 500 से ज्यादा पौधे राजस्थान और मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों में वे खुद लगा चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों को भी 400 से ज्याद कलमें भेज चुके हैं।

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