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🙏 मोहन थानवी 🙏
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शाम तक चली पतंगबाजी, गूंजे देशभक्ति गीत
गुलाबी नगर से दिलीप कुमार गुप्ता
जयपुर (दिलीप कुमार गुप्ता) मकर संक्रांति को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। असम में इस दिन को बिहू और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के नाम से जानते हैं। मकर संक्रांति के दिन पंतगबाजी का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे-बुजुर्ग सभी पंतग उड़ाकर मकर संक्रांति सेलिब्रेट करते हैं। मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई को जाती है।
संक्रांति के दिन तिल व गुड़ से निर्मित खाद्य वस्तुओं के दान का महत्व है। इसके अलावा गर्म वस्त्रों का दान भी किया जाता है। इस दिन तीर्थ स्थल के पवित्र सरोवर में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के मनाया गया इस दिन दान पुण्य का खास महत्व होने के कारण दिनभर दानपुण्य का सिलसिला चला। बाजारों में मकर संक्रांति पर्व को लेकर रौनक रही। खासकर तिलों से निर्मित मिठाइयां, गुड़ तिल पापड़ी, घेवर की बिक्री परवान पर रही। मान्यता के अनुसार बहन बेटियों के घर पर घेवर व अन्य खाद्य सामग्री भेजने की परम्परा का निर्वाह किया गया। महिलाओं ने तेरुणा (13 तरह की वस्तुएं) खरीद की, जिसका वितरण मकर संक्रांति के दिन दान पुन के रूप में किया गया, जयपुर में आज मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आकाश पतंगों से अटा पड़ा था सुबह सवेरे ही बच्चे महिलाएं और पुरुष अपने घरों की छतों पर पतंगों के साथ खूब मौज-मस्ती में थे सरकारी कार्यालयों की अवकाश होने की वजह से सड़कें भी प्रायः खाली थी सुबह से लेकर शाम तक हर गली मोहल्ले में पतंगबाजी और देशभक्ति गानों के साथ साथ पतंग काटकर खुशी का इजहार और कटी पतंग लूटने का जो मजा है वह देखते ही बन रहा था।
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