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मंडियों का अस्तित्व बचाने के लिए उचित कदम उठाने की दरकार श्री बीकानेर कच्ची आढ़त व्यापार संघ ने कृषि उपज मंडी समिति अनाज के सचिव के माध्यम से राजस्थान के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजा

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मंडियों का अस्तित्व बचाने
के लिए उचित कदम उठाने की दरकार

श्री बीकानेर कच्ची आढ़त
व्यापार संघ ने कृषि उपज मंडी समिति
अनाज के सचिव के माध्यम से राजस्थान
के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजा

 📰 🙏 मोहन थानवी 🙏 







मंडियों का अस्तित्व बचाने
के लिए उचित कदम उठाने की दरकार

श्री बीकानेर कच्ची आढ़त
व्यापार संघ ने कृषि उपज मंडी समिति
अनाज के सचिव के माध्यम से राजस्थान
के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजा




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मंडियों का अस्तित्व बचाने
के लिए उचित कदम उठाने की दरकार

श्री बीकानेर कच्ची आढ़त
व्यापार संघ ने कृषि उपज मंडी समिति
अनाज के सचिव के माध्यम से राजस्थान
के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजा



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 👇  मंडियों का अस्तित्व बचाने
के लिए उचित कदम उठाने की दरकार ::- बीकानेर। श्री बीकानेर कच्ची आढ़त
व्यापार संघ ने कृषि उपज मंडी समिति
अनाज के सचिव के माध्यम से राजस्थान
के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजकर नये
केन्द्रीय कृषि अधिनियम के आने के बाद
राजस्थान की मंडियों का अस्तित्व बचाने
के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है।
संघ के संरक्षक पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल
सेठिया, वर्तमान अध्यक्ष जगदीश प्रसाद
पेड़ीवाल, मंत्री नंदकिशोर राठी के नेतृत्व में
प्रतिनिधि मंडल द्वारा दिये गये ज्ञापन में
बताया गया कि केन्द्रीय कृषि अधिनियम में
मंडी परिधि के बाहर कृषि उपज को
खरीदने पर मंडी शुल्क व अन्य उपकरों से
मुत रखा गया है। जबकि राजस्थान में
उपज बेचने के लिए आने वाले किसानों
को 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क और 1
प्रतिशत कृषक कल्याण फीस का खरीददार
से प्राप्त कर जमा कराना अनिवार्य है। यदि
यह नियम आगे भी चला तो धीरे-धीरे
मंडियां वीरान हो जायेगी। लाखों लोग
व्यापारी, आढतिये, मुनीम, पल्लेदार आदि
बेरोजगार हो जायेंगे। राजस्थान खाद्य
व्यापार संघ की 23 सितबर को हुई मीटिंग
में निर्णय किया गया कि 24 सितंबर से
मंडी शुल्क व कृषक कल्याण फीस जमा
नहीं करवायेंगे ऐसी स्थिति में सरकार ने
15 दिन में इन करों को समाप्त करने का
निर्णय न लिया तो व्यापार करना दुश्कर हो
जायेगा। वर्तमान परिस्थितियों में न सिर्फ
किसान बल्कि आढतिये भी आक्रोशित है
आगामी सीजन से पूर्व निर्णय न होने पर
आन्दोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं
रहेगा। ज्ञापन देने प्रतिनिधियों में मनोहरलाल
सियाग, सीताराम सियाग, राधेश्याम तर्ड,
जयनारायण घिंटाला, भुवनेश स्वामी,
रामलाल बेनीवाल शामिल थे। 
कांग्रेस विचार मंच
मंच के संचालक सरदार भाई कोचर ने
कृषि कानूनों को केवल कार्पोरेट जगत के
हित वाला कानून बताते हुए कहा है कि
केन्द्र सरकार को चारों तरफ से शुरू हुए
आक्रोश को देखते हुए इन कानूनों को
वापिस लेना चाहिये।



 ✍️

युगपक्ष 
📒 CP MEDIA 🙏 मोहन थानवी 🙏 





🙏 


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