*खेल जगत*/
*भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के ब्रॉडकास्टरों को यह आश्वासन दिया था कि वह 10 वर्षों तक आईपीएल प्रतिस्पर्धा के अनुरूप किसी भी अन्य व्यावसायिक घरेलू भारतीय टी-20 प्रतिस्पर्धा का आयोजन, मंजूरी, मान्यता या समर्थन नहीं देगा। इसके मद्देनजर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) का कहना है कि क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4 (1) और धारा 4 (2) (सी) का उल्लंघन कर रहा है।
सीसीआई के महानिदेशक द्वारा की गयी विस्तृत जांच में पता लगा है कि बीसीसीआई भारत में व्यावसायिक घरेलू क्रिकेट लीग/खेलों के क्षेत्र में दबदबा रखता है। उसकी गतिविधियों को देखते हुए उसके ऊपर अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं। खेल परिसंघों की भूमिका को देखते हुए और देश में खेलों के विकास के लिए उपरोक्त बाध्यता क्रिकेट के हित में नहीं है। इसके अलावा बाध्यता इसलिए लगाई गयी ताकि आईपीएल के प्रसारण अधिकारों के संबंध में बोली लगाने वालों के व्यापार हितों को बढ़ावा मिले। इसलिए पाया गया है कि इसमें प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4 (1) और धारा 4 (2) (सी) का उल्लंघन हो रहा है। सीसीआई ने निम्नलिखित निर्देश दिये हैं-
1. बीसीसीआई अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन करने वाली गतिविधियां नहीं करेगा।
2. बीसीसीआई गैर-सदस्यों द्वारा व्यावसायिक घरेलू क्रिकेट लीग/प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए बाध्यता नहीं लगायेगा। बहरहाल, बीसीसीआई खेल के हित को ध्यान में रखते हुए नियम बनाने और उन्हें दुरूस्त करने का अधिकार रखेगा।
3. बीसीसीआई भारत में व्यावसायिक घरेलू क्रिकेट लीग/प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए लागू नियमों के मद्देनजर उचित स्पष्टीकरण जारी करेगा। इसके अलावा बीसीआई देश में क्रिकेट के विकास के लिए सभी संभव उपायों को सुनिश्चित करेगा।
4. बीसीसीआई आयोग द्वारा दिए जाने वाले सभी निर्देशों के संबंध में 60 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर प्रतिस्पर्धा विरोधी रवैये के कारण 52.24 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सीसीआई का उक्त आदेश सीसीआई की वेबसाइट www.cci.gov.in. पर उपलब्ध है। (pib)