कोलायत मेला : नागा साधुओं सहित विभिन्न अखाड़ों का आगमन
रमेंगे धूणे
गंगा की मौजों का नजारा : नगाड़ों-घंटियों और आरती से गूंजता कपिल सरोवर
हिलेगा पानी बढ़ेगी सर्दी, रमेंगे धूणे
- मोहन थानवी
- श्री कोलायत मेला कार्तिक पूर्णिमा एवं गुरूनानक जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर भरता है। मेले में देशभर से श्रद्धालु आते हैं । इस मेले की विशेषता यह है कि इसमें लगभग सभी अखाड़ों की उपस्थिति रहती है। नागा साधुओं सहित विभिन्न अखाड़ों का आगमन मेले से कुछ दिन पहले ही होना शुरू हो जाता है। मेले में एक और आकर्षण गंगा की मौजों का सा नजारा होता है जो नगाड़ों-घंटियों और आरती से गूंजते कपिल सरोवर पर कर सकते हैं। कोलायत का पानी हिलता है, सर्दी शुरू होती है। विभिन्न अखाड़ों के साथ-साथ समूहों में जुटे लोगों धूणे चेतन हो जाते हैं।
सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि की तपोस्थली पर न सिर्फ बीकानेर संभाग के बल्कि
देशभर से लोग आते हैं।
मेले को लेकर पूरे कपिल सरोवर सहित मंदिर परिसर में कपिल मुनि की जीवनी के प्रसंग एवम् सनातनी देवी देवताओं की छवियों को दीवारो पर उकेरा गया है। सरोवर के चारों तरफ़ रोशनी की जगमगाहट विशेष आकर्षण है।
सर्द मौसम की शुरुआत होने की लोकमान्यता वाले इस पर्व पर नागा साधुओं सहित श्रीकोलायतजी के कपिल सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने विभिन्न अखाड़ों से जुड़े साधु संत पहुंचते हैं। इनकी संख्या हजारों में होती है।
श्रीकोलायत के कपिल सरोवर में बने
सभी 52 घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा के मौके
पर विशेष पूजन होता है। हर घाट पर लोग
एक एक बार स्नान करते हैं। बड़ी संख्या में
आने वाले लोग कपिल मुनि मंदिर में दर्शन
के साथ ही देश-विदेश से पहुंचे साधु-
संतों के साथ आध्यात्मिक संवाद भी करते हैं।
मेले से कई दिन पहले ही नेपाल, मॉरिशस के अलावा भारत के मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश,
उाराखंड सहित कई राज्यों से साधु सांख्य दर्शन प्रणेता के मंदिर में आते हैं। बड़ी संख्या
में नागा साधु भी यहां नजर आते हैं और हफ्तों तक धुणी रमाते हुए तपस्या करते हैं।
इनकी सेवा में श्रीकोलायत के साथ ही
आसपास के गांवों के लोग जुट जाते हैं।
कोलायत को तीर्थनगरी भी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर तो यहां घाटों पर श्रद्धालुओं को पैर रखने को जगह नहीं मिलती । जानकारी में रहे कि श्रीकोलायत के कपिल सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर साल करीब दो लाख
लोग डुबकी लगाते रहे हैं लेकिन कोरोना काल को अपवाद मान लें तो अब यह संख्या प्रति वर्ष पहले से बढ़ती जा रही है।
कोलायत के पवित्र सरोवर के घाटों पर श्रद्धालुओं के साथ-साथ साधु-संतों की उपस्थिति अलग ही छटा बिखेरती है। कपिल मुनी मंदिर परिसर में (घाट) सहित यहां प्रतिष्ठित अन्य मंदिरों का आकर्षण संध्या को दीपदान के समय चरम पर होता है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा की शाम का भव्य एवं दिव्य स्वरूप देखने को मिलता है ।
सुविधा के लिए नियंत्रण कक्ष सक्रिय रहेगा। सरोवर के आसपास गोताखोर तथा एसडीआरएफ को टीमों की तैनाती रहेगी। पार्किंग, वाहनों की आवाजाही, आवास, पेयजल आदि व्यवस्थाएं की गई हैं। रेलवे और रोडवेज की ओर से विशेष ट्रेनों व बसों का संचालन होता है।
कोलायत मेले में बिक्री
पारम्परिक एवं ग्रामीण मेलों से रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी होती है और कोलायत मेले में भी हर वर्ष ऐसा होता है। स्थानीय उत्पादों को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध होता है।
इस मेले में प्रायः ग्रामीण क्षेत्र की सामग्रियों की खरीद अधिक होती है। सरकार की ओर से स्वरोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी के लिए मेले में प्रदर्शनी के आयोजन होते हैं।
इस बार कोलायत मेला 15 नवम्बर को भर रहा है। रंगीन फव्वारे और रंगबिरंगी रोशनी से कपिल मुनी सरोवर को अभी से सजाया जा रहा है। मेले में राजस्थानी लोक संस्कृति के रंग और पारंपरिक भजनों की गूंज अभी से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है । राजस्थान के विेभिन्न अंचलों से मेले में आने वाले कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति देते हैं।
इस मेले से एक महीने पहले ही यहां हाट बाजार शुरू हो जाता है। सैकड़ों की संख्या में दुकानें लगती है, जिसमें ग्रामीणों के लिए घरेलू
सामान के साथ ही पशुओं के लिए कई तरह
के सामान सस्ती दर पर मिल जाते हैं। क्षेत्र
की इकोनॉमी के लिए यह मेला काफी
महत्व रखता है। इसी मेले के कारण यहां
कई होटल्स भी खुल गए हैं।
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घोषणा : आ गई सर्दी
बीकानेर में सर्दी का आगमन कार्तिक
पूर्णिमा मेले के दिन से होता है। यह मान्यता
रही है कि इस मेले में आने वाले लोग तालाब
में स्नान करते हैं तो इससे हिलने वाला पानी
पूरे बीकानेर को सर्दी की गिरफ़्त में ला देता
है। आमतौर पर इसी दिन से लोग कहने
लगते हैं 'कोलायत रो पोणी छिडग्यो, अबै
सर्दी आयगी' अर्थात हजारों लोगों के स्नान से
कपिल सरोवर का पानी हिल गया। अब सर्दी
आ चुकी है।
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