-मुंह पर डाटा बांधे लोगों और पटाखेदार बाइक सवारों पर कोई अंकुश नहीं
मुंह पर डाटा बांधे लोगों और पटाखेदार बाइक सवारों पर कोई अंकुश नहीं
- मोहन थानवी
यातायात नियमों की अवहेलना करने वालों के चालान काटने के लिए प्रमुख मार्गों पर प्रमुख जगहों पर पुलिस तैनात मिलती है । इस बात से सभी वाकिफ हो चुके हैं। और यही कारण है कि पुलिस को दूर से देख कर ही नियमों की अवहेलना करने वाले अपना रास्ता बदल देते हैं। और ऐसे लोगों में कुछ लोग मुंह पर डाटा बांधे आवाजाही करने वाले एवं तेज पटाखे की आवाज वाली बाइक पर सवारी करने वाले भी शामिल होते हैं। मान लिया जाए कि भलेशक वे संभ्रांत हैं लेकिन इनकी आड़ में संदिग्धों पर भी कोई अंकुश नहीं लग पाता है !
मुंह पर पटका बांधे लोग तथा पटाखे की आवाज वाली मोटरसाइकिल सवार विद्यालयों -कॉलेजों के लिए भी विशेष समस्या है। शिक्षा के कतिपय कुछ मंदिरों में छुट्टी होने के समय कुछ ऐसे डाटा बांधे युवा चक्कर लगाते हैं एवं आवाज निकालते हैं जिसका असर विद्यार्थियों पर विशेष रूप से पड़ता है और भय का वातावरण उत्पन्न होता है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए संभ्रांत परिवार के लोगों को स्वत ही मुंह पर डाटा बांध कर चलने की प्रवृत्ति को तिलांजलि दे देनी चाहिए । साथ ही आम नागरिकों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए लोगों को तेज आवाज वाली बाइक भी नहीं चलनी चाहिए।
डाटा बांध कर चलने वाले चाहे किसी गाड़ी पर सवार हो अथवा पैदल ही आ जा रहे हो इनकी पहचान कर इनको रोकने टोकने वाला कोई नहीं। इसी तरह पटाखे की तेज आवाज निकालती कुछ बाइक भी हमारे आसपास से गुजर जाती हैं। उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं दिखाई देता ।
यहां तक की संवेदनशील क्षेत्र अस्पताल के आसपास के रिहायशी इलाकों में भी डरा देने वाली पटाखेदार बाइक जब जब गुजरती है तो घरों के अंदर बच्चों के रोने की आवाज गूंज जाती है । क्योंकि वह ऐसी कानफोड़ आवाज से डर जाते हैं। यूं डर तो वयस्क भी जाते हैं । जबकि ऐसी बाइक्स कोई ज्यादा नहीं है लेकिन बावजूद इसके इनकी पहचान कर इन पर भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती है।
इसके बारे में कुछ लोगों ने और कुछ संस्थाओं ने आवाज भी उठाई लेकिन कोई सख्त कार्रवाई अमल में आती हुई दिखाई नहीं देती। संबंधित विभागों को इन दोनों ही संवेदनशील और आशंकाओं से भरे मामलों की ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए । ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से निर्धारित से भी अधिक तेज आवाज में वाहन चलाना अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं मसला न भी हो लेकिन नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में तो आता ही है।
इसी तरह मुंह पर डाटा बांध कर घूमना भी अपराध नहीं माना जाए तब भी संदिग्ध गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतने के लिए ऐसी प्रवृति पर रोक तो लगानी ही चाहिए। वैसे भी छीना झपट और ऐसी ही अपराधिक घटनाओं के अधिकांश आरोपी मुंह पर डाटा बंधे हुए ही दृष्टिगोचर होते रहे हैं। ऐसे में सड़क पर आम आदमी भी डाटा बांध कर चलता है तब भी आशंका पनपती ही है कि इस भीड़ में कहीं कोई आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति भी सड़कों पर आराम से आवाजाही तो नहीं कर रहा !
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