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महाराजा गंगासिंह जी के समय में दुनियाभर में बिकने वाले प्रसिद्ध बीकानेरी कालीन जेल के बंदी बनाते थे...! - डॉ मेघना एमजीएसयू में मनाई गंगा सिंह जी की जयंती, महाराजा के व्यक्तित्व पर हुआ मंथन विद्यार्थियों को कुछ ऐसे नवाचार करने चाहिएं जिनसे बीकानेर को नई पहचान मिले - कुलगुरु मनोज दीक्षित






- महाराजा गंगासिंह जी के समय में दुनियाभर में बिकने वाले प्रसिद्ध बीकानेरी कालीन जेल के बंदी बनाते थे...! - डॉ मेघना

एमजीएसयू में मनाई गंगा सिंह जी की जयंती, महाराजा के व्यक्तित्व पर हुआ मंथन 

विद्यार्थियों को कुछ ऐसे नवाचार करने चाहिएं जिनसे बीकानेर को नई पहचान मिले - कुलगुरु मनोज दीक्षित


*खबरों में बीकानेर*







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महाराजा गंगासिंह जी के समय में दुनियाभर में बिकने वाले प्रसिद्ध बीकानेरी कालीन जेल के बंदी बनाते थे...! - डॉ मेघना

एमजीएसयू में मनाई गंगा सिंह जी की जयंती, महाराजा के व्यक्तित्व पर हुआ मंथन 

विद्यार्थियों को कुछ ऐसे नवाचार करने चाहिएं जिनसे बीकानेर को नई पहचान मिले - कुलगुरु मनोज दीक्षित

छियासी सौ तोला सोना वज़न कर रियाया को दान में बंटवाया था महाराजा गंगा सिंह जी ने : डॉ. नितिन गोयल


एमजीएसयू में इतिहास विभाग और सेंटर फॉर म्यूजियम एंड डॉक्यूमेंटेशन के संयुक्त तत्वावधान में महाराजा गंगा सिंह जयंती सप्ताह के तहत विस्तार व्याख्यान आयोजित किया गया ।  बीज वक्ता राजस्थान राज्य अभिलेखागार के डायरेक्टर डॉ. नितिन गोयल थे। गोयल ने गंगा सिंह जी के व्यक्तित्व और उपलब्धियों का एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय इतिहास के महाराजा गंगा सिंह अनुकरणीय उदाहरण के रूप में हमेशा बीकानेर वासियों के लिए स्मरणीय रहेंगे।

महाराजा ने अकाल के बाद छियासी सौ तोला सोना रियाया को दान में बंटवाया था।

इससे पूर्व आयोजन सचिव सेंटर फॉर म्यूजियम एंड डॉक्यूमेंटेशन की डायरेक्टर डॉ. मेघना शर्मा ने विषय प्रवर्तन किया व कहा कि गंगा सिंह जी के काल में जेल के बंदियों द्वारा कालीन बनाए जाते थे जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जाता था।

 इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने स्वागत उद्बोधन दिया। 
सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा व महाराजा गंगा सिंह जी के चित्र पर माल्यार्पण व उनके समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ।

  अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु मनोज दीक्षित ने कहा कि जिस प्रकार गंगा सिंह जी ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर बीकानेर को चिन्हित करवाया उसी तरह विद्यार्थियों को कुछ ऐसे नवाचार करने चाहिएं जिनसे बीकानेर को नई पहचान मिले। 

बीज वक्ता का साफा, शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर मंच से सम्मान किया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन एसएफएस इतिहास के प्रभारी डॉ. प्रभुदान चारण द्वारा दिया गया।

 आयोजन में प्रो. राजाराम चोयल, डॉ. अनिल दुलार, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ. गौतम मेघवंशी, डॉ. धर्मेश हरवानी, डॉ. ज्योति लखानी, फौजा सिंह, अतिरिक्त कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, उपकुलसचिव डॉ. प्रकाश सहारण के अलावा विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे। 

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